मणिपुर में लंबे समय से हिंसा का दौर जारी है। पिछले तीन महीनों में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, कई घायल हैं और लूटपाट, आगजनी जैसी घटनाओं ने भी माहौल को तनावपूर्ण बनाया हुआ है। अब मणिपुर हिंसा को लेकर कहा जा रहा है कि कुकी-मैतेई समुदाय के बीच जारी विवाद ही इस मामले की जड़ है। अब कुछ हद तक तो ये सही है, लेकिन ताजा जानकारी बताती है कि इस पूरे मामले में असल विलेन कौई और भी हो सकता है। विवाद अपनी जगह है, लेकिन बवाल को बढ़ाने का काम किसने किया, ये जानना ज्यादा जरूरी है।
म्यांमार और भारत की सीमा, विवाद का विषय?
अब यहीं पर इस पूरे विवाद के साथ म्यांमार कनेक्शन जुड़ गया है। ये बात कम ही लोगों को पता है कि भारत और म्यांमार की जो सीमा है, वो कई किलोमीटर तक बिना किसी फेंसिंग के है, यानी कि कोई भी बिना किसी रोक-टोक के जा सकता है। अंग्रेजी में उस पूरे इलाके को Indo-Myanmar Border (IMB) कहते हैं। भारत, म्यांमार के साथ 1643 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। भारत में मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश से म्यानमार की सीमा लगती है।
Free Movement Regime वाला पेच
अब कहने को म्यांमार एक अलग देश है, लेकिन वहां पर कई समुदाय के लोग हैं जिनका सीधा कनेक्शन भारत के इन चार राज्यों से पड़ता है। उसी चीज को समझते हुए साल 2018 में Free Movement Regime (FMR) लागू कर दी गई थी। इस पहल के तहत भारत के चार राज्यों में रहने वाली कई जनजातियां म्यांमार में 16 किलोमीटर तक अंदर जा सकती है। बड़ी बात ये है कि कोई भी वीजा की जरूरत भी नहीं पड़ने वाली है। इसी तरह म्यांमार से भी लोग भी भारत में 16 किलोमीटर तक आ सकते हैं।
FMR के नाम पर अवैध प्रवास?
अब Free Movement Regime (FMR) के पीछे लॉजिक ये दिया गया कि इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते और ज्यादा मजबूत होंगे, व्यापार बढ़ेगा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी देखने को मिल जाएगा। सही बात ये है कि ऐसा हुआ भी और भारत-म्यांमार के रिश्ते काफी सुधरे। लेकिन विवाद ये है कि म्यांमार से इस समय बड़े स्तर पर इमिग्रेशन हो रहा है। कई लोग शरर्णाथी के रूप भारत में एंट्री ले रहे हैं। अब कई रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया है कि इस इमिग्रेशन के दौरान बड़े स्तर पर हथियारों और ड्रग्स की तस्करी भी की जाती है।
मणिपुर में कितने अवैध प्रवासी?
इसके अलावा म्यांमार में जो सियासी संकट चल रहा है, जिस तरह से सरकार का तख्तापलट किया जा चुका है, वहां पर कुकी-चिन समुदाय के लोगों पर काफी अत्याचार बढ़ा है। उसी वजह से उस समुदाय के कई लोग भारत आ रहे हैं। वो मणिपुर से लेकर मिजोरम तक में शरण ले रहे हैं। पिछले कुछ समय में तो इस तरह का अवैध भारत आना और ज्यादा बढ़ चुका है। अकेले मिजोरम में 40000 के करीब अवैध प्रवासी इस तरह से रह रहे हैं। मणिपुर को लेकर जो आंकड़ा जारी हुआ है, वो 2,187 का बताया गया है।
चिंता की बात ये भी है कि कई विद्रोही संगठन म्यांमार में सक्रिय चल रहे हैं जिनके जरिए भारत तक हथियार सप्लाई हो रहे हैं। फिर चाहे बात यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट की हो या बात हो पीपल लिबरेशन आर्मी की, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम हो या बात हो नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड की। इन सभी संगठनों ने अपना सीक्रेट बेस म्यांमार में बना रखा है।
वर्तमान स्थिति से क्या है कनेक्शन?
मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने तो इस इमिग्रेशन को एक बड़े कारण के तौर पर देखते भी हैं। ये अलग बात है कि कुकी समुदाय मानता है कि सरकार और मैतेई समुदाय इस बात का फायदा उठाकर उनके समुदाय को खत्म करने का काम कर रहा है। अभी के लिए जानकार मानते हैं कि पूरी तरह Free Movement Regime (FMR) को खत्म करना ठीक नहीं है, इसके बजाय और सख्त नियम जरूर बनाए जा सकते हैं। इसका कारण ये है कि इस एक पहल की वजह से म्यांमार से भारत कई लोग बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी आते हैं। ऐसे ही सांस्कृति आदान-प्रदान भी चलता रहता है।