मणिपुर में शांति बहाली के लिए सरकार ने समिति गठित की। केंद्र सरकार ने जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में शांति बहाली में मदद करने और विभिन्न समुदायों के बीच बातचीत शुरू कराने के लिए राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति (Peace Committee) का गठन किया है। गृह मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी।

राज्यपाल की अध्यक्षता में शांति समिति का गठन

गृह मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि शांति समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और नागरिक समाज संगठनों के सदस्य शामिल होंगे। बयान में कहा गया, ‘‘भारत सरकार ने मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में राज्य में शांति समिति का गठन किया है। समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल होंगे।’’ शांति समिति को राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति स्थापना की प्रक्रिया में मदद करने और विरोधी गुटों और समूहों के बीच शांतिपूर्ण बातचीत शुरू कराने का काम सौंपा गया है।

मंत्रालय के बयान के अनुसार, समिति सामाजिक एकजुटता और आपसी समझ को मजबूत करेगी और विभिन्न जातीय समूहों के बीच सौहार्दपूर्ण संवाद की पहल करेगी। शांति समिति में पूर्व ब्यूरोक्रेट, शिक्षाविद, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

मणिपुर हिंसा की CBI जांच

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद राज्यभर में हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं। इन झड़पों में कम से कम 100 लोग मारे जा चुके हैं और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 मई से एक जून तक मणिपुर का दौरा किया था और जमीनी हालात का जायजा लेने के बाद शांति समिति के गठन की घोषणा की थी।

मणिपुर हिंसा की जांच CBI कर रही है। सीबीआई ने इस मामले में अब तक 6 एफआइआर दर्ज की है। सीबीआई इस बात का पता लगाएगी कि कुकी और मैती समुदाय के बीच हिंसा किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है। मणिपुर में पिछले एक महीने से जारी हिंसा के बीच सुरक्षा बलों ने अब तक 11,763 गोलियां, 896 हथियार और 200 बम बरामद किए हैं।