मणिपुर के लोग हिंसा के दर्द से गुज़र रहे हैं। जहां हालात अभी भी नॉर्मल नहीं हुए हैं। पिछले दिनों देश का यह राज्य कांग्रेस नेता राहुल गांधी के दौरे को लेकर खास चर्चा में आया था और अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सांसदों का एक संयुक्त दल 6 से 8 जुलाई के बीच मणिपुर दौरे पर रहेगा। मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 100 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई है और लगभग 40,000 लोग विस्थापित हुए हैं।

महाराष्ट्र पर ध्यान मणिपुर पर चुप्पी 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने पांच सदस्यीय टीम की यात्रा का ऐलान करते हुए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारों पर हमला किया और कहा, “डबल इंजन सरकार के ज़रिए सबसे अच्छे शासन के दावे अब उजागर हो गए हैं।” 

दोनों पार्टियों ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेतृत्व मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए काम करने के बजाय विपक्षी दलों को कमजोर करने और महाराष्ट्र में दलबदल कराने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है।

वां दलों के इस बयान में कहा गया है, “मणिपुर के लोग सामान्य स्थिति की तत्काल बहाली और मुख्यमंत्री को हटाने की अहम मांग पर संघर्ष जारी रख रहे हैं, ऐसे लोगों को पद से हट जाना चाहिए जो विभाजनकारी राजनीति का प्रतीक बन गए हैं और पद पर बने रहने की सभी वैधता खो चुके हैं। बयान में आगे कहा गया है कि वाम दलों ने 25 जून को नई दिल्ली में हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया था, जहां 10 समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के नेताओं और मणिपुर के जिला परिषदों के निर्वाचित सदस्यों ने मुलाकात की थी।

‘मणिपुर के लोगों से मिलेंगे’

वाम दलों का यह डेलीगेश चुराचांदपुर और इंफाल घाटी दोनों में सभी जातीय समुदायों के लोगों से मुलाकात करेगा। प्रतिनिधिमंडल सात जुलाई को शाम पांच बजे राज्यपाल से मिलेगा और आठ तारीख को मीडिया के साथ बातचीत होगी। प्रतिनिधिमंडल में बिकासरंजन भट्टाचार्य और जॉन ब्रिटास, बिनॉय विश्वम, संदोश कुमार पी और के. सुब्बा रेयान शामिल होंगे।