Manipur Violence: मणिपुर हिंसा को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को नई दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। जिसमें हिंसाग्रस्त स्थिति को लेकर चर्चा की गई। हालांकि बैठक के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनके नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह को सर्वदलीय बैठक में बोलने के लिए पर्याप्त वक्त नहीं दिया गया।

मणिपुर के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, ‘जब मैंने अपने सुझाव देना शुरू किया तो मुझे लगा कि वह सुनना ही नहीं चाहते। मैंने यह भी कहा कि यह इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का समय नहीं है, क्योंकि राज्य में सामान्य स्थिति लाने की जरूरत है। मैंने उनसे (अमित शाह) इस मुद्दे पर बोलने के लिए अतिरिक्त 5 मिनट का समय देने को कहा, लेकिन उन्होंने मुझसे अलग से मिलने के लिए कहा।”

सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बीजेपी पर निशाना साधा। जयराम रमेश ने कहा, ‘2001 में जून के महीने में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब मणिपुर जल रहा था। उसके बाद मणिपुर अमन, शांति और विकास के रास्ते पर लौट आया उसका प्रमुख कारण है कि ओकरम इबोबी सिंह (मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री) ने 15 साल वहां स्थिर सरकार दी। रमेश ने कहा कि 3 मई से हम मांग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री इसपर कुछ बोलें।

जयराम रमेश ने आगे कहा कि बेहतर होता कि सर्वदलीय बैठक इंफाल में होती। जिससे एक संदेश जाता कि मणिपुर की पीड़ा देश की पीड़ा है। वहां अलग-अलग मिलिटेंट ग्रुप हैं जिनके पास हथियार हैं। हमारी मांग है कि बिना किसी भेदभाव के सारे मिलिटेंट ग्रुप से हथियार वापस लिए जाएं। रमेश ने कहा कि जब तक एन. बीरेन सिंह मुख्यमंत्री रहेंगे तब तक मणिपुर में परिवर्तन की संभावना नहीं है, उनसे इस्तीफा लेना चाहिए। मुख्यमंत्री ने खुद स्वीकारा है कि मैं स्थिति को संभाल नहीं पाया, ऐसे हालात में उनका मुख्यमंत्री रहना नामुमकिन है।

भाजपा नेता संबित पात्रा ने कहा, ‘सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने अपने प्रतिनिधि भेजे थे। सभी राजनीतिक दलों ने अपने विषयों को सकारात्मक तरीके से रखा। सभी प्रतिनिधियों को सुनने के बाद गृह मंत्री ने विपक्षी दलों के सुझावों पर चर्चा करने का आश्वासन दिया है। सभी राजनीतिक दलों के मौजूद प्रतिनिधि मंडल ने भी माना कि आज से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई गृह मंत्री तीन दिन दंगे वाली जगह बिताकर आया हो।

मणिपुर हिंसा पर कांग्रेस ने रखीं आठ मांगे-

  1. प्रधानमंत्री, मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ें।
  2. अगर प्रधानमंत्री इस सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करते और यह इंफाल में होती तो मणिपुर के लोगों को स्पष्ट संदेश जाता कि उनका दर्द और संकट भी राष्ट्रीय पीड़ा का विषय है।
  3. मणिपुर में तत्काल सभी मिलिटेंट ग्रुप के पास से हथियार छीनने चाहिए।
  4. राज्य के मुख्यमंत्री को तुरंत बदला जाना चाहिए।
  5. जो भी कार्यवाही हो, संविधान के तहत होनी चाहिए।
  6. सभी की शिकायतों को सुनकर संवेदनशीलता के साथ आम सहमति बनानी चाहिए।
  7. केंद्र सरकार द्वारा दोनों राष्ट्रीय राजमार्गों को हर समय खुला और सुरक्षित रखकर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।
  8. प्रभावित लोगों के लिए राहत, पुनर्वास और आजीविका का पैकेज बिना देरी किए तैयार किया जाना चाहिए। घोषित राहत पैकेज अपर्याप्त है।