मणिपुर में पिछले 2 साल से विस्फोटक स्थिति बनी हुई है, हिंसा की वजह से अब तक 250 लोगों की जान जा चुकी है। वर्तमान में पूर्वोत्तर के इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है, इसी कड़ी में गृह मंत्री अमित शाह की मणिपुर की सुरक्षा को लेकर एक अहम बैठक हुई है। उस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई, लेकिन सबसे ज्यादा प्राथमिकता इस बात पर दी गई कि मणिपुर में एक बार फिर शांति कैसे स्थापित की जाए।

मणिपुर पर शाह ने क्या बोला?

सूत्रों के हवाले से खबर है कि गृहमंत्री अमित शाह ने बैठक के दौरान जोर देकर बोला है कि मणिपुर में जितने भी रास्ते हैं, सभी को जनता के लिए पूरी तरह मुक्त कर दिया जाए, आवाजाही लगातार होती रहनी चाहिए, अगर कोई भी उपद्रवी रुकावट पैदा करने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन क्यों?

इसके अलावा शाह की तरफ से इस बात पर भी जोर दिया गया है कि मणिपुर को आने वाले समय में नशा मुक्त बनाना होगा, ऐसे में इसके व्यापार को पूरी तरह ध्वस्त करने के भी निर्देश दे दिए गए हैं। जानकारी के लिए बता दें कि मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लग चुका है। असल में पूर्व मुख्यमंत्री ऐन बीरेन सिंह को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था, लगातार हो रही हिंसा के बाद उन पर इस्तीफा देने का दबाव था, उनकी खुद की पार्टी के नेता उनके खिलाफ हो चुके थे। इसी वजह से दिल्ली जाकर उनका इस्तीफा लिया गया।

उसके बाद अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया। भल्ला की जिम्मेदारी संभालते ही लगातार एक्शन जारी है। सबसे ज्यादा फोकस इस बात पर दिया जा रहा है कि सभी गुटों से अवैध हथियार वापस लिए जाएं।

बड़ी बात यह है कि पहले शुक्रवार तक ही लूटे हुए सारे अवैध हथियार वापस करने थे, लेकिन अजय कुमार भल्ला ने उस समय सीमा को 6 मार्च तक बढ़ा दिया है। वे चाहते हैं कि जितने भी गुट हैं, वो सभी हथियार समय रहते वापस कर दें, साफ बोला गया है कि जो भी हथियार सरेंडर करेगा, उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं होने वाला।