मणिपुर में 4 मई को हिंसा के दौरान भीड़ ने दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सार्वजनिक रूप से अपमानित किया और सड़क पर घुमाया था। उनमें से एक महिला के पति 65 वर्षीय कारगिल युद्ध के योद्धा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “सच सामने लाने के लिए भगवान ने उसका वीडियो वायरल किया होगा।” राज्य में हिंसा के दूसरे दिन भीड़ ने उनकी पत्नी और दो अन्य कुकी-ज़ोमी महिलाओं को निशाना बनाया, लेकिन इस निर्लज्ज यौन हमले का वीडियो 19 जुलाई को सामने आया, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश फैल गया और संसद में इसकी गूंज सुनाई दी।
कारगिल योद्धा की शिकायत के आधार पर 18 मई को कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “तब तक पुलिस या सरकार की ओर से किसी ने भी हमें फोन नहीं किया था।”
30 साल सेना में दीं सेवाएं, 18 साल की उम्र में असम रेजिमेंट में हुए थे शामिल
चूड़ाचांदपुर शहर में एक कॉलेज के कमरे में जहां महिलाओं के परिवार रहते हैं, उन्होंने कहा, “कार्रवाई बहुत पहले की जानी चाहिए थी, लेकिन वीडियो से पहले जब हमने उन्हें बताया कि क्या हुआ था, तो किसी ने भी हम पर विश्वास नहीं किया।” इस बीच, महिलाएं “सुरक्षित क्षेत्र” में हैं। अब सेवानिवृत्त हो चुके इस व्यक्ति का सेना में 30 साल का करियर है। 18 वर्ष की उम्र में वह एक सैनिक के रूप में असम रेजिमेंट में शामिल हुए और 2000 के दशक के अंत में सूबेदार के रूप में पर्याप्त पदकों के साथ सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अपने गांव को गौरवान्वित किया और युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने देश के अंदर और बाहर कई महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लिया – इसमें ऑपरेशन रक्षक (जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान) और असम, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन राइनो, साथ ही भारतीय शांति बल के हिस्से के रूप में श्रीलंका में ऑपरेशन पवन- शामिल है। वह सैन्य सेवा पदक, ऑपरेशन विजय पदक, विदेश सेवा पदक और एक विशेष सेवा पदक सहित कई पदकों के प्राप्तकर्ता हैं।
बटालियन का हिस्सा रहे एक पूर्व सेना अधिकारी ने उन्हें एक अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी और जमीन से जुड़े व्यक्ति के रूप में याद किया। लेफ्टिनेंट कर्नल कौशिक सरकार (सेवानिवृत्त) ने उन्हें याद करते हुए कहा कि जब यूनिट श्रीलंका में थी तो वह अपेक्षाकृत नए सदस्य थे, लेकिन जब ऑपरेशन विजय के दौरान वह उनके साथ तंगधार में सेवा कर रहे थे तो वह एक कठोर सैनिक थे। 65 वर्षीय ने पूर्व सैनिक ने कहा कि घटना के बाद से उन्हें अपनी यूनिट के अधिकारियों के साथ-साथ पूर्व सैनिक संघ से भी फोन आ रहे हैं।
लगभग दो सप्ताह पहले यह वीडियो सामने आने के बाद से महिलाओं और उनके परिवारों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पीड़ितों में से दो और उनके परिवार चुराचांदपुर में राहत शिविरों में रह रहे थे, लेकिन वीडियो सामने आने के बाद, उनके जनजाति के नेताओं ने उन्हें “सुरक्षित क्षेत्र” में पहुंचा दिया। उस जगह के बारे में उनके परिवार के लोगों को भी नहीं पता है।