केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया कि वह मणिपुर की स्थिति पर सदन में संक्षिप्त में चर्चा करने को तैयार है। हालांकि विपक्ष उस पर सहमत नहीं हुआ और उसकी तरफ से मणिपुर के मामले पर विस्तार से चर्चा की मांग की गई। विपक्ष उस नियम के तहत चर्चा चाहता था, जिसमें बाकी सारी कार्यवाही को रोककर इस पर चर्चा कराने की बात थी। लेकिन प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर शोरगुल शुरू हो गया। इससे सदन को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

कार्यवाही शुरू होते ही सभापति ने दी 12 नोटिस मिलने की जानकारी

जैसे ही मानसून सत्र के लिए सदन की बैठक शुरू हुई, सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि उन्हें रूल-176 के तहत संक्षिप्त अवधि की चर्चा कराने के लिए 12 नोटिस मिले हैं, जिसमें 8 नोटिस मणिपुर की स्थिति, तीन नोटिस बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट और रेलवे सुरक्षा पर चिंता जताने के लिए और एक बेरोजगारी पर चर्चा कराने के लिए है।

सदन के नेता ने कहा चर्चा के लिए तैयार, विपक्ष बोला- संक्षिप्त चर्चा स्वीकार नहीं

मणिपुर हिंसा पर नोटिस एजीपी के बीरेंद्र प्रसाद बैश्य, बीजेपी के बृजलाल, राकेश सिन्हा, राजद के एडी सिंह और मनोज कुमार झा, सीपीएम के जॉन ब्रिटास और कांग्रेस के रंजीत रंजन ने दिए। इसके बाद केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता पीयूष गोयल उठे और कहा, “सरकार की ओर से हम मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार हैं और इस नोटिस को स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं है।”

सभापति धनखड़ ने कहा, “चूंकि सदन के नेता ने स्वेच्छा से कहा है कि सरकार मणिपुर पर चर्चा के लिए उत्सुक है…मुझे नोटिस सही लगता है…।” उन्होंने कहा कि संक्षिप्त अवधि की चर्चा के नियम के तहत उन्हें समय और तारीख के लिए सदन के नेता से परामर्श करना होगा। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन समेत कई विपक्षी सदस्यों ने बताया कि सदस्यों ने 267 के तहत भी नोटिस दिया है।

इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करते हुए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पूछा, “सदन के नेता एजेंडा पूरी तरह से पढ़ने से पहले अचानक कैसे उठकर कह सकते हैं कि हम तैयार हैं। हमने भी 267 के तहत नोटिस दिया है…आपको अन्य सभी कार्यवाही निलंबित करने होंगे और इस पर चर्चा करानी होगी। केवल आधे घंटे के लिए नहीं, बल्कि पूरी चर्चा होनी चाहिए।” कांग्रेस के जयराम रमेश ने सदन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी की मांग की। खड़गे ने कहा, “प्रधानमंत्री को बयान देने दीजिए…हम चर्चा करेंगे। हम चुप नहीं बैठेंगे।”