मणिपुर में युद्ध के नए हथियार के रूप में उभर रहे ड्रोन की वजह से हिंसा फिर से भड़क रही है। सुरक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि जब तक केंद्र हस्तक्षेप नहीं करता और मैतेई और कुकी-जोमी पक्षों के बीच बातचीत की सुविधा नहीं देता, तब तक इस तरह की “शांति भंग” होता रहेगा। यह बात बीजेपी विधायक और नागा नेता डिंगंगलंग गंगमेई (Dinganglung Gangmei) ने कही है। उन्हें मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मैतेई (Meiteis) और कुकी-जोमी (Kuki-Zomis) के बीच बातचीत के लिए नियुक्त किया है।

पार्टी विधायक बोले- कुछ बाहरी प्रभाव नियंत्रण से बाहर

गंगमेई ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे दोनों पक्षों के विधायकों और नागरिक समाज समूहों के संपर्क में हैं, लेकिन किसी भी सार्थक बातचीत के लिए केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हम गुवाहाटी और इंफाल में कई बार मिल चुके हैं, लेकिन कभी-कभी चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। कुछ बाहरी प्रभाव हैं जिन्हें हम नियंत्रित नहीं कर सकते। दोनों पक्षों में बहुत से बाहरी लोग हैं और इस पूरे संघर्ष के अब बड़ा मतलब हैं। हमें केंद्र सरकार से बातचीत की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है, जो कि मैं पिछले 14-15 महीनों से कह रहा हूं। अब मेरे स्तर पर मेरी भूमिका विश्वास निर्माण और वार्ता को सुविधाजनक बनाने तक सीमित हो सकती है, लेकिन मेरे पास किसी भी चीज पर बातचीत करने के लिए ठोस संदर्भ नहीं हैं।”

सोमवार को वरिष्ठ बीजेपी विधायक राजकुमार इमो सिंह ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की, जो सीएम के दामाद भी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में राजकुमार ने लिखा, “स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान लाने के लिए केंद्र सरकार को सभी पक्षों के बीच जल्द से जल्द राजनीतिक बातचीत और जुड़ाव शुरू करना चाहिए।”

उन्होंने लिखा कि संघर्ष शुरू होने के 16 महीने बाद, “सबको उम्मीद थी कि हिंसा के दिन पीछे छूट गए हैं और स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए राजनीतिक बातचीत पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा।” राजकुमार ने शाह से केंद्रीय सुरक्षा बलों को हटाने का भी आग्रह किया था, जिन्हें उन्होंने हिंसा के दौरान “मूक दर्शक” बताया।

सुरक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि जब तक दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए नहीं कहा जाता, तब तक वे शत्रुता को नियंत्रित करने में असहाय हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सेना, पुलिस और सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) सीमित अवधि के लिए शांति सुनिश्चित कर रहे हैं। सिर्फ एक बार नहीं बल्कि कई बार – दो महीने की शांति, चार महीने की शांति रही है। लेकिन वास्तविक समाधान बातचीत से ही होगा और अभी तक इसकी पहल भी नहीं हुई है। इससे असंतोष बढ़ रहा है। लोग बातचीत नहीं शुरू होने से परेशान हो गये हैं और इस तरफ ध्यान दिलाने के लिए कुछ न कुछ करेंगे।”

एक अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने ड्रोन के इस्तेमाल पर भी चिंता जताई, जिसका इस्तेमाल अब देसी बम गिराने के लिए किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, “इस संघर्ष के दौरान यह पहली बार है कि ड्रोन का इस्तेमाल बम गिराने के लिए किया जा रहा है; इससे पहले उनका इस्तेमाल वीडियो बनाने और दोनों पक्षों द्वारा टोही के लिए किया जाता था। बम और ड्रोन कहां से खरीदे गए हैं, यह जांच का विषय है, लेकिन ऐसा लगता है कि ये ऐसे ड्रोन हैं जिनका इस्तेमाल डिलीवरी के लिए किया जाता है, जिनमें देसी बम लगाए गए हैं।”

कौत्रुक जैसे “सीमांत क्षेत्र” – जहां मैतेई-बहुल घाटी कुकी-ज़ोमी बहुल पहाड़ी जिलों से मिलती है – संघर्ष के दौरान गोलीबारी और बमबारी के केंद्र रहे हैं, लेकिन अप्रैल से अपेक्षाकृत शांत हैं। तनाव, विस्थापन और रुक-रुक कर होने वाली हिंसा का केंद्र राज्य के सबसे पश्चिमी हिस्से में असम की सीमा पर स्थित जिरीबाम बन गया था। राज्य में पिछली बार अप्रैल में लोकसभा चुनावों के दौरान इन “सीमांत क्षेत्रों” में लगभग दो सप्ताह तक हिंसक घटनाएं हुई थीं, उसके बाद 40 दिनों तक अपेक्षाकृत शांति रही थी।

इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि मणिपुर प्रशासन ने केंद्र से ड्रोन रोधी प्रणाली मुहैया कराने का अनुरोध किया है। मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए डीजीपी राजीव सिंह ने ड्रोन हमलों को एक “नई तरकीब” बताई, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।