मणिपुर में 17 सैन्यकर्मियों की हत्या के मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजंसी (एनआइए)को सौंप दी गई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने शनिवार को एक अधिसूचना जारी कर औपचारिक रूप से मामले को एनआइए को सौंप दिया है। एनआइए इस हमले की तत्काल जांच शुरू करेगी।
एनआइए का गठन 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के बाद किया गया था। उसे देश में आतंकवाद के सभी मामलों की जांच का अधिकार है। सूत्रों के मुताबिक मणिपुर की घटना क्योंकि हाल में हुए भीषण मामलों में से एक है, केंद्र ने मामले को केंद्रीय जांच एजंसी को सौंपने का तत्काल निर्णय किया।
इस बीच शनिवार को तीसरे दिन भी उग्रवादियों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान जारी रहा। असम राइफल्स के सूत्रों ने कहा कि पारालांग, चारोंग, मोलटुह और अन्य इलाकों में उग्रवादियों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। दो दशक में सेना के जवानों पर किया गया यह सबसे बड़ा हमला था। इसमें लैंडमाइन, रॉकेट चालित ग्रेनेड और स्वचालित हथियारों का प्रयोग हुआ। सूत्रों ने बताया,‘हमले में मारे गए सेना के सभी जवानों के शवों की पहचान कर ली गई है।’
गुरुवार को उग्रवादियों ने मणिपुर के चंदेल जिले में सेना के एक काफिले पर घात लगाकर हमला किया था। इसमें 17 सैन्यकर्मी शहीद हो गए और 11 अन्य घायल हो गए। हमले में एक संदिग्ध उग्रवादी भी मारा गया था।
नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (खापलांग) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। केंद्र ने मार्च में इस संगठन के साथ संघर्ष विराम रद्द कर दिया था।
सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने शुक्रवार को चंदेल जिले में हमले की जगह का निरीक्षण किया था। जनरल ने अभियान के लिए योजना बनाने और भविष्य की कार्रवाइयों को लेकर सेना और असम राइफल्स के अधिकारियों के साथ संक्षिप्त चर्चा की थी।