महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि भारत जैसे देश में वैवाहिक दुष्कर्म का कॉन्सेप्ट लागू नहीं हो सकता। उन्होंने गरीबी, अशिक्षा और धार्मिक विश्वास को इसके लिए जिम्मेदार बताया।
मेनका गांधी से राज्यसभा में पूछा गया था कि सरकार की वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने के लिए क्या योजना है? इस पर लिखित में जवाब देते हुए मेनका ने कहा कि जिस तरह दूसरे देशों में वैवाहिक दुष्कर्म का कॉन्सेप्ट है, वैसे भारत में लागू नहीं हो सकता। इसके पीछे की वजह यहां मौजूद गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक मुल्य, धार्मिक विश्वास, शादी को लेकर समाज की सोच हैं।
वैवाहिक दुष्कर्म पर इंद्रिरा जयसिंह के पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश करके वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में शामिल करने की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार का नजरिया नहीं बदला। अभी तक वैवाहिक दुष्कर्म के मामले आईपीसी की धारा-377 के तहत दर्ज किए जाते हैं। इस धारा के तहत अप्राकृतिक दुष्कर्म के मामले दर्ज किए जाते हैं। रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी वैवाहिक दुष्कर्म के मामले धारा-376 के तहत दर्ज किए जाने चाहिए। इसके साथ ही जस्टिस वर्मा पैनल ने भी नए एंटी-रेप कानून में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने की सिफारिश की थी।