Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने हाल ही में बिजली चोरी के एक दोषी एक मुस्लिम शख्स को हज यात्रा के लिए सऊदी अरब जाने की इजाजत दी। कोर्ट ने उसके इस तर्क को माना कि यह उसके धर्म में अनिवार्य है। जस्टि अभय एस. वाघवासे की एकल बेंच ने आवेदन को मंजूर करते हुए कहा कि अपील 2016 से लंबित है और फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता कुछ शर्तों के साथ अप्रैल से सितंबर 2025 तक धार्मिक तीर्थयात्रा कर सकता है।

याचिकाकर्ता रहीम खान संदू खान को 2007 में दर्ज एक मामले में भारतीय विद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत अक्टूबर 2016 में एडिशनल सेशल जज द्वारा दोषी ठहराया गया था। उसे दो साल के जेल की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उसकी सजा को चुनौती देने वाली अपील दायर करने के बाद उसे हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी। याचिकाकर्ता ने हज के लिए विदेश यात्रा की इजाजत मांगते हुए यह आवेदन दायर किया। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि तीर्थयात्रा करना एक धार्मिक दायित्व है।

केंद्र के वकील ने नहीं जताई कोई आपत्ति

याचिकाकर्ता के वकील जॉयदीप चटर्जी ने तर्क दिया कि निकट भविष्य में अपील पर सुनवाई होने की संभावना नहीं है और खान के परिवार के सदस्यों को हज समिति द्वारा तीर्थयात्रा के लिए पहले ही स्लॉट आवंटित कर दिए गए हैं। महाराष्ट्र राज्य की तरफ से पेश हुए एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्यूटर एसएस दांडे व केंद्र की ओर से पेश हुए वकील ने इस आग्रह पर कोई भी आपत्ति जाहिर नहीं की और कहा कि कोर्ट की तरफ से सही आदेश पारित किया जा सकता है।

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कोर्ट ने लगाई कुछ शर्तें

कोर्ट ने इन सभी बातों पर ध्यान देते हुए फैसला सुनाया, ‘चूंकि अपील साल 2016 की है और धार्मिक उद्देश्यों के लिए अपील पर सुनवाई की तत्काल कोई संभावना नहीं है , इसलिए आवेदन को अनुमति दी जानी चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने खान को हज यात्रा के लिए अप्रैल से सितंबर 2025 तक विदेश यात्रा की इजाजत दे दी। इतना ही नहीं इसके अलावा कुछ शर्तें भी लगाईं गई हैं। इसमें यह वचन देने के लिए कहा गया है कि वह दी गई इजाजत का गलत इस्तेमाल नहीं करेगा। अपनी यात्रा, टिकट, एयरलाइन और सऊदी अरब में अपने रहने की जानकारी पुलिस और कोर्ट दोनों को देनी होगी। 1971 की बॉम्बे HC ने क्यों शुरू की समीक्षा?