West Bengal Assembly Elections 2021: जिस राज्य के कुल 7.18 करोड़ मतदाता में से 3.15 करोड़ महिला मतदाता हों …. जहां देश की आधी आबादी का 49 फीसदी वोट शेयर होजहां 10 सालों से महिला मुख्यमंत्री होवहां जाहिर सी बात कि चुनाव प्रचार में भी महिलाओं की अहम भूमिका तो होगी ही होगीबंगाल की गिनती उन राज्यों में की जाती हैं, जहां महिलाएं अपने पति या घर के मर्दों के कहने पर नहीं बल्कि अपनी मर्जी से तय करती हैं कि वोट किसे देना है। यही वजह है कि टीएमसी हो या बीजेपीदोनों ही खेमों की महिला नेता फ्रंटलाइन पर आकर चुनावी जंग में हिस्सा ले रही हैंपुरुष आ भी रहे हैं तो महिला वोटरों को लुभाने वाले वादों के साथ

ममता की महिला ब्रिगेड: तृणमूल कांग्रेस की कमान ही एक महिला नेता ममता बनर्जी के हाथों में है, जो 2011 से सूबे की मुख्यमंत्री भी हैं और अपनी पार्टी की मुख्य स्टार प्रचारक भी। मगर सिर्फ ममता दीदी अकेली नेत्री नहीं हैं, जिनके कंधों पर पार्टी के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी हैउनके साथ लोकसभा सांसद नुसरत जहां और मिमि चक्रवर्ती भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैंये दोनों वो नाम हैं, जिनका क्रेज सिर्फ बंगाल ही नहीं पूरे देशभर में हैइसके बाद संसद में पार्टी का पक्ष मजबूती से रखने वाली सांसद महुआ मोइत्रा हैं जो दिल्ली में मजबूती से पार्टी का पक्ष रखती आ रही हैंसाथ ही काकोली घोष दस्तीदार, चंद्रिमा भट्टाचार्य, शशि पांचा, शताब्दी रॉय, सुजाता मंडल और डोला सेन समेत ऐसे कई महिला चेहरे हैं जिनकी मतदाताओं के बीच अच्छी पकड़ हैपार्टी नेता बादल देबनाथ कहते हैं कि ये सभी शिक्षित महिलाएं हैं जो बीजेपी की महिला ब्रिगेड पर भारी हैं।

बीजेपी की महिला पलटन: अपनी महिला ब्रिगेड के दम पर जब तृणमूल ने बंगाल की बेटी का नारा उछाला तो जवाब में बीजेपी ने भी पोस्टर जारी करते हुए अपनी महिला नवरत्नों को सीधे मुकाबले में उतार दियादेबोश्री चौधरी, लॉकेट चटर्जी, रूपा गांगुली, भारती घोष, मफूजा खान, श्रीपूर्णा मित्र चौधरी, तनुजा चक्रवर्ती, फाल्गुनी पात्रा और अग्निमित्रा पॉल जैसे मशहूर बंगाली चेहरे शामिल हैं। इन्हीं नेत्रियों के दम पर बीजेपी कह रही है बंगाल को बुआ नहीं भतीजियां चाहिए। बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार में सक्रिय योगदान दे रहे शिवम त्यागी कहते हैं कि पार्टी में कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष नेता तक, हर महिला को वही सम्मान मिलता है, जो टीएमसी में सिर्फ ममता दीदी को मिलता है।

घोषणापत्र का वादा बनाम 10 साल का सच: चेहरों के बाद अब जरा बात मुद्दों की भी कर लेते हैं। हर साल 5 लाख नए रोजगार, 1.6 करोड़ परिवारों की महिला मुखिया को हर महीने 500 रुपये और 1.5 करोड़ परिवारों तक हर महीने मुफ्त राशन और अगले 5 सालों में 10 लाख छोटी एवं 2 हजार बड़ी फैक्ट्रियां लगाने समेत कुल 8 वादों का दम ममता दीदी ने अपनी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में दिखाया हैअब जरा इन वादों को पिछले 10 सालों में टीएमसी सरकार के कामकाज की कसौटी पर परख लेते हैंराज्य सरकार के पिछले दस सालों के बजट पेपर और एसबीआई रिसर्च के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-22 में पश्चिम बंगाल की अर्थवस्था का आकार 15.1 लाख करोड़ रहने का अनुमान है, जिसमें कर्ज का हिस्सा एक तिहाई यानि 5.25 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। इसी अवधि में महंगाई दर को समायोजित करने के बाद विकास दर 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि इस दौरान राष्ट्रीय जीडीपी की दर 8 फीसदी रहने की संभावना जताई जा रही हैरोजगार के मोर्चे पर पश्चिम बंगाल का रिकॉर्ड काफी अच्छा है। नेशनल प्रीऑडीक लेबर फोर्स सर्वे 2017-18 के मुताबिक राज्य में बेरोजगारी की दर 4.6 फीसदी थी, जो उस दौरान के राष्ट्रीय औसत 6.1 प्रतिशत से काफी कम है। हां रोजगार की गुणवत्ता जरूर बहस का मुद्दा हो सकता है। यही वजह है कि दीदी के घोषणापत्र को लेकर बीजेपी और टीएमसी परस्पर विरोधी दावे कर रहे हैं

चुनाव है तो विकास के वादे भी होंगे और खेला हबे के दावे भीवादों पर सवाल भी उठेंगे और दावों के जवाब में कहा जाता रहेगा बंगाल में खेला शेष हबे