प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाषा को लेकर बड़ी ही समझदारी से फैसला लेती हैं। वह दार्जलिंग में जाकर नेपाली बोलती हैं, तो मिदनापुर में संथाल भाषा बोलती हैं। इसलिए जब उन्होंने अपने ट्वीट अंग्रेजी भाषा की जगह हिंदी में डालने शुरू किए, पार्टी नेताओं ने तभी से इसका अंदाजा लगाना शुरू कर दिया था। पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करने के बाद ममता बनर्जी अपनी राष्ट्रीय छवि सुधारने में जुटी हैं। हाल ही में जंतर-मंतर पर रैली करने के बाद ममता बनर्जी लखनऊ और पटना में रैली की तैयारियों में जुटी हैं। इन रैलियों के जरिए वह नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार करेंगी। उनकी तैयारियों का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि वह हिंदी सीख रही हैं। टीएमसी एक एक सूत्र ने बताया कि सीएम ममता एक हिंदी शिक्षक की भी तलाश कर रही हैं, साथ ही उन्होंने एक बंगाली-हिंदी शब्दकोष भी खरीद लिया है।

ममता बनर्जी भी मानती हैं कि उनकी हिंदी काफी खराब हो चुकी है। उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, “मैं 1984 से दिल्ली में थी। शुरुआत में एक सांसद के तौर पर और बाद में केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में। मैं उस समय हिंदी बोलती थी। लेकिन कई सालों तक, खासतौर पर 2011 के बाद से मेरी हिंदी काफी खराब हो गई है। क्योंकि मैं इसका इस्तेमाल कम करने लगी थी।”

एक करीबी ने बताया कि सीएम ममता एक किताब भी लिख रही हैं, जिसमें हिंदी की कविताएं होंगी। वहीं, ममता बनर्जी की बायोग्राफी को उनकी पार्टी हिंदी शीर्षक “मेरी संघर्षपूर्ण यात्रा” के साथ एक बार फिर से पब्लिश कर सकती है। यह किताब 2013 में आई थी। सूत्रों ने बताया कि टीएमसी सांसद व हिंदी अखबार ‘सन्मार्ग’ के संपादक विवेक गुप्ता जैसे पार्टी नेता ममता बनर्जी की हिंदी स्पीच लिखने में सहायता कर रहे हैं। गौरतलब है कि 16 नवंबर को ममता बनर्जी ने पहला हिंदी ट्वीट किया था। इस ट्वीट में उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली की आजादपुर मंडी में होने वाली रैली की घोषणा की थी।