कोलकाता हाईकोर्ट ने शनिवार को ममता सरकार को चुनाव बाद हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहरा कड़ी फटकार लगाई और हिंसा की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया। सरकार को कोर्ट का फैसला नागवार गुजरा। रविवार को सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका देकर अपील की कि कल के आदेश पर रोक लगाई जाए।
कोलकाता हाई कोर्ट ने शनिवार को ममता सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि राज्य ने चुनाव के बाद की हिंसा से निपटने के लिए पुख्ता कदम नहीं उठाए। हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों की शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। यह राज्य का कर्तव्य है कि वह कानून एवं व्यवस्था बनाए रखे और राज्य के निवासियों में विश्वास पैदा करे। पांच सदस्यीय बेंच ने उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिनमें आरोप लगाया गया है कि सैकड़ों लोग हिंसा के कारण विस्थापित हो गए हैं। वे अब डर से अपने घरों को लौटने के लिए तैयार नहीं हैं।
कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का आदेश दिया। ये समिति बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों की ओर से दायर शिकायतों की जांच करेगी। समिति सभी मामलों की जांच करेगी। समिति यह भी देखेगी कि क्या लोगों के अंदर ये विश्वास पैदा हो चुका है कि वो अपने घरों में शांति से रह सकते हैं। क्या वो अपना व्यवसाय भी आसानी से कर सकते हैं। मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी। उस दिन तक आयोग की समिति को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में देनी होगी।
कोर्ट ने सरकार को ये भी आदेश दिया था कि समिति के हर तरह की सुविधा मुहैया कराए जाए जिससे वो अपना काम आसानी से कर सके। उसे मनमुताबिक जगह पर जाकर लोगों से बात करने की पूरी आजादी दी गई है। सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार को लगता है कि शनिवार का फैसला उसकी छवि पर बट्टा है। इसी वजह से रविवार को अवकाश का दिन होने के बाद भी हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर अंतरिम आदेश पर रोक की अपील की गई है।
गौरतलब है कि इससे पहले हाल ही में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर यह आरोप लगाया था कि राज्य सरकार चुनाव के बाद की हिंसा के कारण लोगों की पीड़ा के प्रति निष्क्रिय और उदासीन बनी हुई है।