कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नामांकन दाखिल कर दिया है। कभी मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की रेस में थे और ऐसा तीन बार हुआ था। लेकिन वह तीनों बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। वर्ष 1999, 2004 और 2013 में मल्लिकार्जुन खड़गे सीएम बनते-बनते रह गए थे और इसकी टीस आज भी उनके मन में रहती है और उन्हें आहत करती है।

मल्लिकार्जुन खड़गे जब सीएम बनने वाले थे लेकिन तब पार्टी ने आखिरी क्षणों में एस एम कृष्णा को मुख्यमंत्री बना दिया। वहीं 2004 में धरम सिंह और 2013 में सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन पूर्व छात्र नेता, गुलबर्गा सिटी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और नौ बार के विधायक खड़गे ने कभी उम्मीद नहीं खोई और कभी बगावत नहीं की। खड़गे कांग्रेस के सबसे प्रमुख दलित चेहरों में से एक, एक ऐसे राज्य से ताल्लुक रखने वाले, जहां पार्टी की पकड़ बनी हुई है, उन्हें लोकसभा और अब राज्यसभा में पार्टी का नेता बनकर संतोष करना पड़ा।

लेकिन अब मुकाबला मल्लिकार्जुन खड़गे के पाले में है और गांधी परिवार के आशीर्वाद से उनका राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। खड़गे के खिलाफ शशि थरूर चुनाव लड़ रहे हैं। अगर खड़गे जीत जाते हैं, तो वह स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दक्षिण भारत से छठे नेता बन जाएंगे। बी पट्टाभि सीतारमैया, एन संजीव रेड्डी, के कामराज, एस निजलिंगप्पा और पी वी नरसिम्हा राव इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष बन चुके हैं। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि खड़गे गांधी परिवार के बाहर ढाई दशक में पार्टी की कमान संभालने वाले पहले व्यक्ति होंगे।

1969 में अपने गृहनगर गुलबर्गा के शहर कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के समय से खड़गे राज्य की राजनीति में हैं। उन्होंने 1972 में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया, जब उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। उन्होंने आठ बार जीत हासिल की। वह 1976 में देवराज उर्स सरकार में पहली बार मंत्री बने। वह सभी कर्नाटक कांग्रेस सरकारों में मंत्री थे। 1980 में गुंडू राव कैबिनेट, 1990 में एस बंगारप्पा कैबिनेट और 1992 से 1994 तक एम वीरप्पा मोइली की कैबिनेट में शामिल रहे। इसके बाद वह 1996 से 99 तक विपक्ष के नेता थे। 2005 से 2009 तक राज्य कांग्रेस अध्यक्ष रहे। उसके बाद 2009 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में लोकसभा चुनाव लड़कर प्रवेश किया।

खड़गे के लिए सबसे बड़ा मौका 2014 में आया जब कांग्रेस को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा और वह लोकसभा में केवल 44 सदस्यों तक सिमट गई। गुलबर्गा से दूसरी बार जीते खड़गे को लोकसभा में कांग्रेस का नेता बनाया गया। हालांकि 2019 के चुनाव में खड़गे को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा और विपक्ष का नेता बनाया।

खड़गे बौद्ध धर्म का पालन करते हैं और कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सटीक बैठते हैं। वह स्वभाव से शांत हैं और कभी भी किसी राजनीतिक विवाद में नहीं आये हैं। गुलबर्गा जिले के वारवट्टी में एक गरीब परिवार में जन्मे खड़गे ने बीए किया, कानून की पढ़ाई की और 1969 में राजनीति में आने और कांग्रेस में शामिल होने से पहले कुछ समय के लिए प्रैक्टिस भी किया।