मालदा हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बनाते हुए भाजपा ने शनिवार को इस मामले में राष्ट्रपति के दरवाजे पर दस्तक दी। पार्टी ने उनसे इस संबंध में राज्यपाल से स्वतंत्र रिपोर्ट मांगने का अनुरोध किया। भाजपा ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाया कि वह मालदा हिंसा में शामिल लोगों को बचाकर वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा दे रही हैं और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
केंद्रीय और राज्य नेताओं के साथ पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। पार्टी ने मालदा हिंसा में राज्य सरकार की ओर से कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया। पार्टी ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार की तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हिंसा का मुद्दा भी उठाया।
प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को एक और ज्ञापन भी सौंपा जिसमें एक तृणमूल कांग्रेस नेता के पुत्र से जुड़े हिट एंड रन मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सुस्ती का आरोप लगाया गया है। इस मामले में वायुसेना के एक जवान की मौत हो गई जो कोलकाता में गणतंत्र दिवस परेड की रिहर्सल में लगे थे।
राष्ट्रपति से मुलाकात करने के बाद विजयवर्गीय ने संवाददाताओं से कहा कि मालदा की घटना देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी हुई है। वोट बैंक की यह राजनीति आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है क्योंकि उसी भीड़ ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे भी लगाए। यही वजह है कि हमने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि राज्यपाल से अपनी रिपोर्ट मंगाएं और केंद्र सरकार की ओर से राज्य से मंगाई गई रिपोर्ट देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए पैदा खतरा दूर करने में मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा को यह जानकर पीड़ा हुई जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि लोगों को बीएसएफ से समस्याएं थीं और इसी वजह से हिंसा हुई। उन्होंने कहा कि पुलिस स्टेशन क्यों जलाया गया? वास्तविकता यह है कि जो लोग हिंसक भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे, वे जाली नोट और अफीम की खेती से जुड़े हैं और असामाजिक तत्त्व हैं जिन्होंने अपनी आपराधिक गतिविधियों को समाप्त करने के लिए पुलिस स्टेशन को जला दिया।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि दुर्भाग्य से उन सभी को ममता बनर्जी द्वारा बचाया जा रहा है। तृणमूल के कई नेता ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं और वहां वोट बैंक की राजनीति हो रही है। वहां अल्पसंख्यक समुदाय कहीं न कहीं इन तीनों घटनाओं में शामिल हैं और इस वोट बैंक की राजनीति के कारण पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही हैं। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह, बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष और प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा भी शामिल थे।