Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई। इसमें याचिकाकर्ता ने खुद को हाई कोर्ट का जज नियुक्त करने की मांग की थी। अदालत ने इस याचिका को न्याय प्रणाली का मजाक बताया। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या याचिकाकर्ता अपनी याचिका पर चर्चा के लिए कॉलेजियम की बैठक बुलाने की मांग कर रहा है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सीजेआई गवई ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “मैं एक काम करूंगा। मैं कॉलेजियम की बैठक के लिए तीन सबसे सीनियर जज की एक पीठ का गठन करूंगा। यह व्यवस्था का मजाक है! आपने हाईकोर्ट जज के रूप में नियुक्ति के लिए अभ्यावेदन या आवेदन करने के बारे में कहां सुना है? यह व्यवस्था का मजाक है।”

हमने ऐसी याचिकाओं पर कब सुनवाई की है- सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने आगे कहा कि अदालत के इतिहास में ऐसा मामला पहले कभी नहीं सुना गया। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस तरह की याचिका दायर करने पर अदालत जुर्माना लगाने पर विचार कर सकती है। बेंच ने कहा, “हमने हाई कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति के संबंध में याचिकाओं पर कब सुनवाई की है? हमें कितना जुर्माना लगाना चाहिए।”

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वकील ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी

जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की, तो याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की मांग की। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि ऐसी याचिकाएं दायर करने वाले वकील का वकालत का लाइसेंस ही वापस ले लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “ऐसी याचिकाएं दायर करने के लिए सनद (वकालत का लाइसेंस) वापस ले लिया जाना चाहिए।” फिर कोर्ट की इजाजत के बाद याचिका वापस ले ली गई।

कॉलेजियम क्या है और यह कैसे काम करता है?

कॉलेजियम सिस्टम भारत में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर के लिए एक सिस्टम है। कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश सहित 5 वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। न्यायाधीशों की नियुक्ति की इस प्रणाली में, कॉलेजियम उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश केंद्र सरकार को करेगा। साथ ही, केंद्र सरकार प्रस्तावित उम्मीदवारों के नाम परामर्श के लिए भेजेगी। नियुक्ति प्रक्रिया में लंबा समय लगता है क्योंकि इसकी कोई निश्चित समय-सीमा नहीं होती। अगर कॉलेजियम दोबारा वही नाम भेजता है, तो सरकार को उस पर अपनी सहमति देनी होती है।

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