शुक्रवार (5 मई) का दिन दो बड़ी खबरों को लेकर चर्चा में रहा है। जहां एक तरफ गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) मीट जारी है और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो सहित अन्य देशों के प्रतिनिधि भारत पहुंचे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ राजौरी में हुई मुठभेड़ में पांच सैनिक शहीद हुए हैं।

भारतीय सेना ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि कंडी जंगल में आतंकवादियों की मौजूदगी की विशेष सूचना के आधार पर तीन मई को अभियान शुरू किया गया था। राजौरी से आई शुरुआती खबरों में दो जवानों के शहीद होने और चार के घायल होने की बात कही गई थी।

यह तलाशी अभियान पुंछ में 20 अप्रैल को हुए हमले के बाद चलाया गया था जिसमें बड़ी संख्या में सैनिक, ड्रोन और खोजी कुत्ते शामिल थे। इस सर्च ऑपरेशन के दौरान शुक्रवार (5 मई) को सेना के पांच जवान शहीद हो गए हैं। ऑपरेशन अभी भी जारी है।

डेढ़ साल पहले भी इस इलाके में सेना पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच सैनिक मारे गए थे, जिसके बाद लगभग दो महीने तक तलाशी अभियान चला था। उस हमले के अपराधियों का कोई पता लगाने में नाकाम रहने के बाद सर्च ऑपरेशन समाप्त होने से पहले चार और सैनिक मारे गए थे। अक्टूबर 2021 के हमले के बाद इस क्षेत्र में तीन अन्य बड़ी घटनाएं हुईं थी जिसके बाद इलाके में सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है।

ऑपरेशन ‘सर्प विनाश’

1990 के दशक के आखिरी सालों में जब सुरक्षा बल कश्मीर में उग्रवाद को कम करने के लिए मशक्कत कर रहे थे तब सीमा पार के आतंकवादियों ने जम्मू की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया।

यह सीमावर्ती जिलों राजौरी और पुंछ के भीतरी इलाकों में घुस गए। रजौरी में 60 प्रतिशत मुस्लिम और 30 प्रतिशत हिन्दू आबादी है। पुंछ मुस्लिम बहुल इलाका है जहां अधिकांश मुसलमान गुर्जर और बखेरवाल समुदाय के लोग हैं।

1998 से 2003 तक लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे अन्य संगठनों के कैडरों ने सुरनकोट तहसील के बखेरवाल गांव हिलकाका को एक आतंकवादी किले में बदल दिया था।  इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आतंकियों की तैयारी इतनी ज्यादा थी कि उन्होंने इस इलाके में अपने लिए अस्पताल तक बना लिए थे. 500 लोगों के लिए 2 महीने तक खाने-पीने की व्यवस्था भी उन्होंने कर रखी थी।

इन संगठनों के बढ़ते प्रसार के बीच अप्रैल-मई 2003 में भारतीय सेना ने ‘सर्प विनाश’ अभियान शुरू किया, जिसके बाद हिलकाका इलाके को मुक्त कराया गया था। सेना के इस अभियान में लगभग 15,000 सैनिक शामिल थे। इस अभियान की ताकत इतनी ज़्यादा थी कि 60 से अधिक आतंकवादी मारे गए, और हथियारों, गोला-बारूद और संचार उपकरणों के बड़े ढेर बरामद किए गए। इस ऑपरेशन में बंकरों को उड़ाने के लिए सेना ने हेलिकॉप्टरों तक का इस्तेमाल किया था।

कब-कब हुए हैं हमले?

  • 11 अगस्त, 2022 को राजौरी जिले में सेना के एक शिविर पर आतंकवादियों के हमले में पांच जवान शहीद हो गए थे। दो आतंकवादियों को गोली मार दी गई थी।
  • 16 दिसंबर, 2022 को राजौरी शहर के पास मुरादपुर में सेना के एक कैंप के गेट के बाहर दो नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। फलियाना गांव के दो युवक कैंप के अंदर कैंटीन चलाते थे. स्थानीय निवासियों और दो लोगों के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि गेट पर संतरी ने उन पर गोली चलाई; सेना ने कहा कि यह एक उग्रवादी हमला था। जिसकी जांच चल रही है।
  • 1 जनवरी 2023 को उग्रवादियों ने फलियाना से बमुश्किल 2 किमी दूर डांगरी में हमला किया गया था।
  • 20 अप्रैल को भीमबेर गली में सेना के ट्रक पर घात लगाकर किए गए हमले सहित इन घटनाओं को आपस में जोड़ने वाली बात यह है कि ये सभी राजौरी-पुंछ क्षेत्र में एक-दूसरे के किलोमीटर के भीतर हुईं हैं।