Maharashtra Debt: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार ने हाल ही में विधानसभा में यह दावा किया था कि राज्य की अर्थव्यवस्था की हालत अच्छी और स्थिर है इसके चलते अब उनकी आलोचना की जा रही है, और विपक्षी दलों ने राज्य के बढ़ते सार्वजनिक ऋण को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। राज्य के कर्ज की बात करें तो यह 2024-25 में करीब 7.82 लाख करोड़ रुपये तक का हो गया है, जो कि राज्य की जीडीपी यानी GSDP का 18.35 प्रतिशत होगा, जबकि इसकी सीमा 25 प्रतिशत है।

वित्त मंत्रालय संभाल रहे अजित पवार ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में कर्ज में 10.67% की वृद्धि हुई है, लेकिन यह निर्धारित सीमा के भीतर है, इसलिए राज्य के लिए चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कर्ज पिछले वर्ष की तुलना में भले ही बढ़ा हो लेकिन स्थिति काबू में ही है।

महाराष्ट्र सरकार ने किया है बड़ा ऐलान

बता दें कि हाल ही में इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चल रही महायुति सरकार का आखिरी बजट पेश किया गया था। बजट में अजित पवार ने महिलाओं, युवाओं, किसानों और समाज के अन्य वर्गों के लिए 80,000 करोड़ रुपये से अधिक के व्यय की घोषणा की थी।

बता दें कि शिंदे सरकार द्वारा किए गए ऐलान के तहत राज्य में मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना शुरू की गई है, जिसके तहत पात्र महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये दिए जाएंगे। विपक्ष ने इसे “आश्वासनों की झड़ी” कहा था और कहा था कि घोषित योजनाओं के लिए धन कैसे जुटाया जाएगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है।

‘महिलाओं ने किया इस योजना का स्वागत’

महिलाओं के लिए शुरू की गई योजना को लेकर डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि महिलाओं ने इस योजना का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं को सशक्त बनाने वाली इस योजना के लिए मुझे विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जो कि स्वीकर है।

पवार ने कहा कि पूरक मांगों में अतिरिक्त बजटीय प्रावधान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि लड़की बहन योजना से करीब 2.5 करोड़ महिलाओं को लाभ मिलेगा, जिससे राज्य को सालाना 46,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को 8,500 रुपये मासिक भत्ता देने के वादे के लिए कांग्रेस की आलोचना की है।

अजित पवार ने कांग्रेस के 8500 रुपये वाले वादे को जुमला करार देते हुए कहा कि अगर इसे लागू किया जाता, तो इसके लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन की आवश्यकता होती।