भाजपा की महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ज्योति पंड्या को हाल ही में पार्टी से निलंबित कर दिया गया। पिछले हफ्ते आगामी लोकसभा चुनाव में वडोदरा से तीसरी बार मौजूदा सांसद रंजन भट्ट के नामांकन के खिलाफ अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए उनके खिलाफ यह एक्शन लिया गया। ज्योति ने अपना असंतोष जताने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की थी, जिससे कुछ मिनट पहले पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। .
इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में ज्योति पंड्या ने वडोदरा और भाजपा से संबंधित कई मुद्दों पर बात की। ज्योति ने भाजपा में 38 सालों तक काम किया है। साथ ही उन्होंने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की संभावना से भी इनकार नहीं किया।
क्यों लिया पद छोड़ने का फैसला?
क्या यह पद छोड़ने का आवेगपूर्ण निर्णय था या लंबे समय तक सोचविचार के बाद लिया गया निर्णय? इस सवाल के जवाब में ज्योति पंड्या ने कहा, “यह एहसास कुछ समय पहले हुआ था। मुझे बुरा लगने लगा था जब पार्टी में महिलाएं आती थीं और अपनी कहानियां साझा करती थीं जहां उनका अपमान किया गया था या उनके साथ कठोर व्यवहार किया गया था। मोहभंग की भावना तब भी बढ़ने लगी जब मैं नगर निकाय, विधानसभा या अन्य चुनावों के चुनाव प्रभारी के रूप में अक्सर सूरत जाती थी और वहां के विकास को देखती थी।”
ज्योति ने आगे कहा, “ये बीज मेरे दिमाग में थे लेकिन रंजन भट्ट के लिए तीसरा कार्यकाल ट्रिगर था। पार्टी ने एक सप्ताह में दो बार मेरा बायोडाटा लिया था और मैं बहुत शांत और आश्वस्त थी क्योंकि 10 साल भट्ट की अक्षमता साबित करने के लिए पर्याप्त समय है। मेरा सवाल यह है कि आप ऐसा क्यों करते हैं (भट्ट को तीसरे कार्यकाल के लिए मैदान में उतारा) अगर यह स्त्री-हठ है तो मुझे भी यह मिल सकता है।
भाजपा सबसे निचले स्तर के कार्यकर्ताओं से भी कड़ी मेहनत करवाती- ज्योति
उम्मीदवार आपके अलावा कोई और होता तो क्या आप पद छोड़ देतीं? इस सवाल के जवाब में ज्योति ने कहा, “अगर वह नहीं होतीं और कोई और उम्मीदवार होता तो मैं पद नहीं छोड़ती। मुझे सामान्य तौर पर मेयरशिप (दिसंबर 2010 से मध्य 2013 तक) दी गई क्योंकि मैं शिक्षित, युवा थी और पार्टी को अपना पूरा समय दे रही थी। आप किसी ऐसे व्यक्ति को क्यों चुनते हैं जो प्रदर्शन नहीं कर रहा है? वडोदरा में नेताओं की कोई कमी नहीं है. पार्टी को नए चेहरों की जरूरत है अगर आप उन्हीं लोगों को दोहराते रहेंगे तो युवा पीढ़ी सोचेगी कि हम यहां पार्टी में क्या कर रहे हैं।”
ज्योति ने आगे कहा, “पार्टी सबसे निचले स्तर के कार्यकर्ताओं से भी 24×7 कड़ी मेहनत करवाती है। उन्हें सब कुछ किनारे करके पार्टी के फोन कॉल में शामिल होना पड़ता है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आप बाहर हैं, मैं अब बूढ़ी हो रही हूं। मैं कहीं और रहना चाहती हूं।
‘बीजेपी नेता बोलने से डरते हैं’
आपने ऐसा क्यों कहा कि बीजेपी नेता बोलने से डरते हैं? इसके जवाब में ज्योति ने कहा, “सभी को इतनी बुरी तरह अपमानित किया जा रहा है कि वे बोलने से डर रहे हैं। आपको लाइन में लगना होगा या निलंबित होना होगा। नए लोगों को लाने वाले दलबदल से पार्टी की विचारधारा से समझौता किया गया है। आज, भाजपा एक बड़े डायनासोर की तरह हो गई है जिसे नहीं पता कि उसकी पूंछ कुचली जा रही है। इस विशाल शरीर में तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क तक संदेश पहुंचने में समय लगेगा।”
बीजेपी की शहर इकाई पर अक्सर VMC के काम में दखल देने का आरोप लगता रहता है. क्या इससे काम में बाधा आती है? इसके जवाब में ज्योति पंडया ने कहा, “ये सच है कि वो दखलअंदाज़ी बहुत करते हैं। अगर ज़रूरी है तो आप करिए लेकिन अगर प्रत्येक पार्टी पदाधिकारी निर्देश देना शुरू कर देंगे तो वे हर चीज का पालन कैसे करेंगे? हमारे घर में भी घरेलू सहायिका को हर सदस्य निर्देश नहीं देता। नेताओं में साक्षरता की कमी है लेकिन परिपक्वता बहुत मदद कर सकती है। नेताओं में दूरदर्शिता और निस्वार्थता का अभाव है। वे केवल निहित स्वार्थ और सत्ता के लिए काम कर रहे हैं। कोई सामूहिक सोच नहीं है।”
निर्दलीय लड़ सकती हैं चुनाव
क्या आप निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी? इस सवाल के जवाब में ज्योति ने कहा, “संभावनाएं हैं लेकिन इस समय मैं किसी भी चीज़ के लिए प्रतिबद्ध नहीं हो सकती। स्थिति हर मिनट बदल रही है और कई लोग मुझसे संपर्क कर रहे हैं। यह एक डरावनी तस्वीर है क्योंकि पार्टी के समर्थन के बिना, मैं कैसे चुनाव लड़ूँगी? मेरी एक इच्छा है और अगर मुझे अच्छा नेटवर्क मिला तो मैं चुनाव लड़ सकती हूं। अगर वडोदरा के लोग मुझसे कुछ करने को कहेंगे तो मैं करूंगी। अभी मेरा 70 प्रतिशत मन कड़ी मेहनत करने और इसे पूरा करने का है।”