राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ना सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में अपने सिद्धांतों और अहिंसा के उनके मूल्यों के लिए बड़ा ही सम्मानित स्थान रखते हैं। लेकिन अफ्रीकी देश मालावी में महात्मा गांधी की प्रतिमा लगाने का पुरजोर विरोध होने का मामला सामने आया है। प्रतिमा का विरोध कर रहे लोगों का तर्क है कि महात्मा गांधी ने इस दक्षिणी अफ्रीकी देश के लिए कुछ नहीं किया है। बता दें कि मालावी में महात्मा गांधी की प्रतिमा के निर्माण की शुरुआत 2 माह पहले हुई थी। इसके साथ ही मालावी में एक सड़क का नामकरण भी महात्मा गांधी के नाम पर किया गया है। बताया जा रहा है कि मालावी सरकार और भारत सरकार के बीच हुए एक समझौते के तहत महात्मा गांधी की प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है। भारत जहां मालावी की राजधानी ब्लानटायर में 10 मिलियन डॉलर के कन्वेंशन सेंटर का निर्माण करा रही है, इसी डील के तहत ब्लानटायर में ही महात्मा गांधी की प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है।

मालावी में महात्मा गांधी की प्रतिमा का विरोध करने वाले गांधी मस्ट फॉल नामक ग्रुप के एक सदस्य का कहना है कि मालावी की आजादी और उसके संघर्ष में महात्मा गांधी का कोई योगदान नहीं है। हमें लगता है कि यह प्रतिमा विदेशी ताकतों द्वारा अपनी इमेज चमकाने के लिए मालावी के लोगों पर थोपी जा रही है। विरोधकर्ताओं ने एएफपी से बातचीत में दावा किया है कि वह इस साम्राज्यवादी और नव-औपनिवेशिक विचारधारा के थोपे जाने से आरामदायक महसूस नहीं कर रहे हैं…विदेशी प्रभाव हमारे सम्मान को ठेस पहुंचाता है। महात्मा गांधी ने अपनी वकालत के करियर की शुरुआत अफ्रीकी देश दक्षिण अफ्रीका से ही की थी और वहीं पर सबसे पहले नस्लीय भेदभाव का विरोध किया था।

गांधी की प्रतिमा का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि पहले की तुलना में हम चाहते हैं कि हमारा देश अन्तरराष्ट्रीय समझौतों में कमजोरी और संकीर्णता से ऊपर उठे…इसका मतलब ये है कि निवेश, साझेदारियां पारदर्शी और समान स्तर पर होनी चाहिएं। हालांकि मालावी की सरकार इससे इत्तेफाक नहीं रखती। मालावी के विदेश मंत्रालय के सचिव इसाक मुनलो का कहना है कि “महात्मा गांधी ने सादगी, सामाजिक बुराईयों के खिलाफ लड़ने और मानवाधिकारों और सामाजिक अधिकारों को बढ़ावा देने का काम किया। इसके साथ ही सभी अफ्रीकी स्वतंत्रता सेनानी भी, जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ आजादी की लड़ाईयां लड़ीं, वह भी महात्मा गांधी से प्रभावित रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो महात्मा गांधी अफ्रीका और भारत में मानवाधिकारों के प्रणेता और रोल मॉडल रहे हैं।”