Mahatma Gandhi Speech: दुनिया में कई लोगों के प्रेरणास्त्रोत रहे महात्मा गांधी की आज पुण्यतिथि है। महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश की आजादी के लिए अनमोल योगदान दिया है। महात्मा गांधी की उस समय हत्या कर दी गई थी जब वो दिल्ली के बिड़ला भवन से वापस आ रहे थे। 30 जनवरी 1948 को नाथुराम ने महात्मा गांधी के सीने और पेट में 3 गोलियां उतार दी थी। आज बापू की पुण्यतिथि पर हम आपके लिए लाए हैं बापू के द्वारा दिए गए कुछ भाषणों के खास अंश-
14 जनवरी 1916
महात्मा गांधी ने 14 जनवरी 1916 को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना के अवसर पर एक जनसभा को संबोधित किया था। कई लोगों को मानना है कि यह पहला मौका था जब महात्मा गांधी ने सार्वजनिक तौर पर अपना संबोधन दिया था। उस वक्त महात्मा गांधी ने अंग्रेजी में अपना भाषण देते हुए कहा था कि ‘मुझमें इस बात से लज्जा तथा अपमान का भाव पैदा हो रहा है क्योंकि मुझ पर अपने देशवासियों को किसी विदेशी भाषा में संबोधित करने के लिए दबाव बनाया गया।’
11 मार्च 1930
दांडी यात्रा के दौरान गांधी जी ने एक भाषण के दौरान कहा था ‘भले ही हमें गिरफ्तार कर लिया गया हो फिर भी हम शांति बनाए रखेंगे। हम सब ने अपने संघर्ष के लिए इस अहिंसक मार्ग का चयन किया है और हमें इस पर कायम रहना है। हम में से किसी को भी क्रोध में आकर कोई गलत कदम नही उठाना है। बस यही आप सबसे मेरी आशा और प्रार्थना है। इतिहास आत्मविश्वास, बहादुरी और दृढ़ता के बल से नेतृत्व और सत्ता प्राप्त करने वाले पुरुषों के उदाहरणों से भरा है। अगर हम भी स्वराज की इच्छा रखते हैं और यदि इसे प्राप्त करने के लिए उतने ही उत्सुक हैं, तो हममें भी समान आत्मविश्वास का होना बहुत ही आवश्यक है। तो चलिये जो हम आज सरकार की किसी भी प्रकार से सहायता कर रहें है, चाहे वह कर देकर हो, सम्मान या उपाधि लेकर या फिर अपने बच्चों को आधिकारिक विद्यालयों में भेजकर, उन्हें हर तरह से सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिये। इसके साथ ही स्त्रियों को भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने की आवश्यकता है।’
गोलमेज सम्मेलन भाषण, 30 नवंबर, 1931
‘मैं यह कहने की हिम्मत करता हूं कि भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच यह संघर्ष ब्रिटिश आगमन की एकजुटता का कारण है और तुरंत इस संबंध को ब्रिटेन और भारत के बीच दुर्भाग्यपूर्ण, कृत्रिम व अप्राकृतिक संबंधों से प्राकृतिक संबंधो में परिणत कर दिया जाता है। अगर ऐसा होता है, तो स्वैच्छिक साझेदारी को छोड़ दिया जाए, अगर दोनों में से एक भी पार्टी भंग हो जाती है, तो आपको प्रतीत होगा कि हिन्दू, मुसलमान, सिख, यूरोपीय, एंग्लो इंडियन, ईसाई, अछूत, सभी एक साथ एकजुटता से रहते हैं।’ यदि हमारे मंदिर स्वच्छता और सभी के लिए खुले स्थान के आदर्श नही हैं, तो भला हमारा स्वराज कैसा होगा?…अगर हमें स्वराज नही दिया जाता तो हमें उसे हासिल करना होगा, क्योंकि बिना प्रयास के हमें कभी भी स्वराज और स्वायत्तता की प्राप्ति नही हो सकती है।’
भारत छोड़ो आंदोलन, 8 अगस्त 1942
‘मेरा मानना है कि दुनियाभर के इतिहास में स्वतंत्रता के लिए हमारे वास्तविकता से ज्यादा यथार्थवादी लोकतांत्रिक संघर्ष नहीं रहा है।’ कांग्रेस के ऐतिहासिक सम्मेलन में गांधी जी ने लगभग 70 मिनट तक भाषण दिया था उन्होंने कहा था कि ‘मैं आपको एक मंत्र देता हूं करो या मरो बस इस बात का ध्यान रखें की आंदोलन गुप्त या हिंसात्मक ना हो…आप लोगों में से प्रत्येक व्यक्ति को अब से खुद को स्वतंत्र व्यक्ति समझना चाहिए और इस प्रकार कार्य करना कि मानो आप स्वतंत्र हो…मैं स्वतंत्रता से कम किसी भी वस्तु से संतुष्ट नहीं होऊंगा।’
12 जनवरी 1948
‘मेरी यह अभिलाषा है कि सभी हिंदू, सिख और मुसलमान अपने दिल में भाईचारे की भावना बनाएं। वह उसके बाद हमेशा तक जीवित रहें। आज यह अस्तित्व विहीन है। यह एक ऐसा राज्य है जहां कोई भारतीय देशभक्त नाम के योग्य नहीं है, जो समता के साथ विचार कर सकता हो। उपवास की शुरुआत कल खाना खाने के समय के साथ होगी और इसका अंत तब होगा जब मैं इस बात से संतुष्ट हो जाऊंगा कि सभी समुदायों के बीच बिना किसी दबाव के एक बार फिर से स्वयं के अंतर्मन से भाईचारा स्थापित हो जायेगा। नि:सहायों की तरह भारत, हिंदुत्व, सिख धर्म और इस्लाम की बर्बादी देखने से अच्छा मृत्यु को गले लगाना, मेरे लिए कही ज्यादे सम्मान जनक उपाय होगा।’

