दिग्गज लेखिका और समाजसेविका महाश्वेता देवी ने गुरुवार को अंतिम सास ली। उन्हें 23 जुलाई को एक मेजर हार्ट अटैक आया था। 90 साल की लेखिका को साहित्य अकादमी अवार्ड, पद्म विभूषण, ज्ञानपीठ और मैग्सेसे अवार्ड जैसे ख्यातिप्राप्त पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। पिछले दो माह से उनका इलाज कोलकाता के बेले वू क्लीनिक में चल रहा था। डॉक्टर्स ने कहा कि उन्हें बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों की वजह से एडमिट कराया गया था। ब्लड इंफेक्शन और किडनी फेल होने जाने की वजह से उनकी हालत दिन पर दिन बिगड़ती चली गई। उनकी मशहूर कृतियों में ‘हजार चौराशीर मां, ब्रेस्ट स्टोरीस और ती कोरिर साध जैसे नाम शामिल हैं। उनकी कई कृतियां पर फिल्म भी बन चुकी है। बंगाल की अग्रणी लेखकों में से एक महाश्वेता को आदिवासी लोगों के लिए काम करने के लिए भी जाना जाता है।
महाश्वेता देवी ने अपनी साहित्यिक प्रतिभा के बूते पर साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ अवार्ड अपने नाम किया। जबकि रेमन मैग्सेसे और पद्म विभूषण मिलना उनके काम के राजनैतिक प्रभाव को इंगित करता है। वे जितनी अच्छी लेखिका थीं, उतनी ही बेहतर समाज सेविका साबित हुईं। महाश्वेता देवी के निधन पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘भारत ने एक महान लेखक खो दिया है। बंगाल ने एक ममतामयी मां को खोया है। मैंने एक निजी मार्गदर्शक को खो दिया है। ईश्वर महाश्वेता दी की आत्मा को शांत दे।’
India has lost a great writer. Bengal has lost a glorious mother. I have lost a personal guide. Mahashweta Di rest in peace
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 28, 2016

