मुंबई के आजाद मैदान में आरक्षण को लेकर मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल ने अनशन किया था। उन्होंने सरकार के आश्वासन के बाद अपना अनशन खत्म कर दिया। मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार के मंंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा दी गई ड्राफ्ट प्रस्तावना (ड्राफ्ट रिज़ॉल्यूशन) को स्वीकार कर लिया था। उन्हें आश्वासन दिया कि हैदराबाद गजट लागू करने के लिए एक सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया जाएगा, जिसके बाद मराठवाड़ा के मराठाओं को कुनबी का दर्जा मिल सकता है। वहीं इसके बाद महाराष्ट्र के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता इसको लेकर चिंतित हैं। महायुती सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात कही है।
ओबीसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा- चंद्रशेखर बावनकुले
वहीं इस बीच महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को कहा कि ओबीसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा और मराठा आरक्षण की अधिसूचना के अनुसार केवल उन्हीं को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, जिनके पास प्रामाणिक रिकॉर्ड होंगे। उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ उठाने के लिए कुनबी प्रमाण पत्र पाने के इच्छुक मराठा समुदाय के आवेदकों को अपने वंश से संबंधित कागजात प्रस्तुत करने होंगे, जिसमें पहले से ही ओबीसी का दर्जा प्राप्त कृषक समूह, ग्राम पंचायत और तहसीलदार स्तर की समिति की रिपोर्ट शामिल हो। ये सर्टिफिकेट दस्तावेज उचित वेरिफिकेशन के बाद ही जारी किए जाएंगे।”
मंत्रालय (राज्य सचिवालय) में ओबीसी मुद्दों पर गठित कैबिनेट उप-समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद बावनकुले ने पत्रकारों से कहा, “उप-विभागीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी फर्जी (कुनबी) प्रविष्टि स्वीकार न की जाए। सरकार के फैसले को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।” कुनबी एक पारंपरिक कृषक समुदाय है और उन्हें नौकरियों व शिक्षा में सरकारी आरक्षण का पात्र बनाने के लिए महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी की सूची में शामिल किया गया है।
छगन भुजबल ने दी थी चेतावनी
सरकार के आश्वासन के बाद महाराष्ट्र के मंत्री और वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कहा था कि मराठों को ओबीसी के कोटे में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में 374 समुदायों के लिए केवल 17 प्रतिशत आरक्षण है। मंत्री ने ओबीसी नेताओं से मीटिंग के बाद कहा कि अगर ओबीसी समुदाय के लिए निर्धारित आरक्षण में कटौती की गई तो लाखों लोग विरोध प्रदर्शन करेंगे।