Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 अब दहलीज पर खड़े हैं। चुनाव आयोग ने वोटिंग का पूरा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। ऐसे में सियासी दल लगातार अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर रहे हैं। कई राज्यों में विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के तहत भी कई प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हो चुका है लेकिन महाराष्ट्र में एमवीए यानी महाविकास आघाड़ी को झटका लगा है क्योंकि वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता प्रकाश आंबेडकर सीट शेयरिंग को लेकर नाराज हैं और उन्होंने गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है।
दरअसल, खबरें हैं कि प्रकाश अंबेडकर ने रविवार को शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे से रिश्ते तोड़ने के लेकर अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि अगर 26 मार्च तक गठबंधन नहीं हुआ तो फिर गठबंधन पूरी तरह खत्म हो जाएगा। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले ही विपक्षी दलों को बड़ा झटका लग सकता है।
अंबेडकर वहीं हैं, जिन्होंने शिवसेना के साथ भीमशक्ति-शिवशक्ति गठबंधन बनाया था। अब उन्होंने आरोप लगाया है कि उद्धव की शिवसेना से लेकर कांग्रेस और शरद पवार गुट की एनसीपी सभी अपने राजनीतिक हितों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं और वीबीए को नजरंदाज कर रहे हैं।
क्या बोले प्रकाश अंबेडकर?
प्रकाश अंबेडकर का यह रुख बता रहा है कि वे लोकसभा चुनाव 2024 में अकेले सियासी मैदान में उतर सकते हैं। इसको लेकर प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि मैंने एमवीए को 26 मार्च का अल्टीमेटम दिया है। तब तक सीट-बंटवारा समाप्त हो जाना चाहिए। यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता है और हम इस देरी से खुश नहीं है, ऐसे कैसे चुनाव में विपक्ष आगे बढ़ेगा।
उद्धव गुट की शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन तोड़ने पर अंबेडकर ने कहा कि यह निरर्थक है क्योंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी अब एमवीए का हिस्सा है। “एमवीए के घटकों में से किसी एक के साथ व्यक्तिगत साझेदारी का कोई मतलब नहीं है। सभी निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाने चाहिए।
शिवसेना ने भी तल्ख किए हैं तेवर
इस गठबंधन के टूटने की संभावनाओं के बीच शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि भीमशक्ति शिवशक्ति गठबंधन राजनीतिक रूप से प्रेरित नहीं था और इसे सामाजिक उद्देश्य के लिए बनाया गया था क्योंकि उद्धव के दादा केशव ठाकरे और वीबीए के प्रमुख दादा डॉ. बीआर अंबेडकर ने जातिवाद के खिलाफ मिलकर काम किया था। संजय राउत ने कहा कि बीआर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और भाजपा और उसकी तानाशाही के खिलाफ लड़ाई को एक साझा एजेंडा बनाने की उम्मीद करते हैं।
बता दें कि 2022 में जब शिवसेना में विभाजन हुआ था तो उसके दलित वोटों को साधने की नीति के तहत उद्धव ठाकरे ने एक रणनीतिक कदम उठाकर वीबीए के साथ गठबंधन किया था। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस गठबंधन का टूटना महाविकास आघाड़ी के एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
अंबेडकर अहम पर सीट शेयरिंग पर माथापच्ची!
वहीं इस मुद्दे पर एमवीए के एक और घटक दल कांग्रेस के दिग्गज नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि एमवीए का दृष्टिकोण हमेशा समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट करने का रहा है। उन्होंने कहा कि वीबीए एक महत्वपूर्ण सहयोगी है और हम चाहते हैं कि वह एमवीए में बना रहे।
भले ही एमवीए के घटक दलों के बीच यह कहा जा रहा है कि वे प्रकाश अंबेडकर उनके लिए अहम है लेकिन वे सीट शेयरिंग के मुद्दे पर किसी भी सहमति पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, जो कि विपक्षी दलों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, जिसके चलते महाराष्ट्र में नया सियासी तूफान विपक्ष में तहलका मचा रहा है।