महाराष्ट्र ‘महायुति’ में सब कुछ ट्रैक पर नजर नहीं आ रहा है। अभी तक राज्य से बीजेपी और शिंदे सेना के बीच अनबन की खबरें आ रहीं थीं, अब बीजेपी और एनसीपी के बीच भी ‘पावर’ को लेकर लेकर कुछ विवाद नजर आ रहा है।
राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को साफ तौर पर अजित पवार की पार्टी के विधायक और कृषि मंत्री मानिकराव कोकाटे का नाम लेते हुए उनपर कटाक्ष किया है। PS और OSD की नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवालों पर देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बातचीत में कहा कि माणिकराव कोकाटे को शायद यह नहीं पता कि PS और OSD नियुक्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है। मंत्री उनका प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजते हैं। मुख्यमंत्री उस पर अंतिम निर्णय लेते हैं।
देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा कि यह नया नहीं है। उन्होंने कहा, “मैंने कैबिनेट में साफ तौर पर स्पष्ट किया है कि आप जो चाहें, वो नाम भेज सकते हैं लेकिन मैं गलत काम में शामिल रहे नाम अप्रूव नहीं करूंगा। अभी तक मुझे 125 नाम प्राप्त हुए हैं, इन नामों में से मैंने 109 क्लियर कर दिए हैं। मैंने बाकी नामों को मंजूरी नहीं दी है क्योंकि उनमें से कुछ के खिलाफ आरोप हैं।”
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मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “मंत्रालय में उनके बारे में यह धारणा है कि वे फिक्सर हैं। अगर कोई नाराज भी है, तो मैं ऐसे लोगों को स्वीकार नहीं करूंगा।”
माणिकराव कोकाटे को अयोग्य ठहराने की मांग
NCP (SP) के MLA जितेंद्र आव्हाड ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को पत्र लिखकर राज्य मंत्री माणिकराव कोकाटे को अयोग्य ठहराने की मांग की है। माणिकराव कोकाटे को धोखाधड़ी के एक मामले में दो साल के जेल की सजा सुनाई गई है।
गुरुवार को नासिक की एक कोर्ट ने माणिकराव कोकाटे (वर्तमान कृषि मंत्री) को साल 1995 के एक मामले में दोषी ठहराया जिसमें उन पर सरकारी कोटे के तहत LIG कैटेगरी में फ्लैट लेने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने का आरोप था। कृषि मंत्री कोकाटे ने दोषसिद्धि के बाद कहा कि कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है और वे इस फैसले को चुनौती देंगे।
जितेंद्र आव्हाड ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कोकाटे की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग की। NCP (SP) विधायक ने पूछा कि कांग्रेस नेता सुनील केदार और राहुल गांधी की तुलना में माणिकराव कोकाटे के साथ अलग व्यवहार क्यों किया जा रहा है? सुनील केदार को महाराष्ट्र विधानसभा से और राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराया गया था जब वे अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराए गए थे।
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