मोदी सरकार की ‘मुद्रा लोन’ योजना हमेशा से सुर्खियों में रही है। देश के लोगों को रोजगार मुहैया कराने और रोजगार सृजन में सहायक सिद्ध होने को लेकर सरकार ने इस महत्वपूर्ण करार देती रही है।
इस बीच मुद्रा सर्वेक्षण की ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2015 से दिसंबर 2017 के दौरान मुद्रा योजना के तहत पांच राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल में कुल लोन का 70% हिस्सा बांट दिया गया। इनमें से तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा और बिहार रोजगार सृजन में टॉपर पर हैं। सर्वे के मुताबिक इन राज्यों ने 40 प्रतिशत अतिरिक्त नौकरियां पैदा की हैं।
हालांकि, इन सबके अलावा महाराष्ट्र का प्रदर्शन काफी उम्दा रहा है। वैसे महाराष्ट्र ऋण आवंटन के मामले में सिर्फ 4% की ही हिस्सेदारी रखता है, लेकिन इसने अकेले सबसे ज्यादा 15 अतिरिक्त रोजगार पैदा किया है। इसी तरह केरल और उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा है। उत्तर प्रदेश ने 2.7% मुद्रा लोन आवंटित किए।
इससे 5.1 % अतिरिक्त रोजगार का सृजन हुआ। वहीं, केरल ने 2.9% लोन आवंटित किए जिनसे 5.2% अतिरिक्त रोजगार पैदा किया गया। गौरतलब है कि इन दोनों राज्यों ने गुजरात से बेहतर प्रदर्शन किया है। गुजरात ने कुल 4.5% मुद्रा लोन आवंटित किए। जिनसे 5 प्रतिशत अतिरिक्त रोजगार सृजित किए गए।
इसके विपरीत तमिलनाडु जिसने मुद्रा लोन का 20.2 प्रतिशत हिस्सा आवंटित किए, लेकिन अतिरिक्त रोजगार सृजन के मामले में इसमें कमी देखी गई। यह सिर्फ 8.1 फीसदी अतिरिक्त रोजगार पैदा कर सका। लोन की रकम और रोजगार सृजन के बीच बड़ा अंतर ओडिशा में देखा गया। ओडिशा ने 15.6 फीसदी लोन आवंटित किए, लेकिन इससे अतिरिक्त रोजगार सृजन 7.8 प्रतिशत ही रहा।
मुद्रा लोन की तीन श्रेणियों शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 रुपये से 5 लाख रुपये) और तरुण (5 लाख से 10 लाख रुपये तक) के तहत आवंटित लोन पर गौर फरमाएं तो पता चलता है कि तमिलनाडु सबसे ज्यादा शिशु (24.21%), बिहार ने किशोर (11.59%) और उत्तर प्रदेश ने तरुण (14.12%) मुद्रा लोन आवंटित किए हैं।

