राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इन चुनावों में सत्ता और धन का ऐसा दुरुपयोग हुआ है, जो पहले कभी किसी भी राज्य या राष्ट्रीय चुनाव में देखने को नहीं मिला। पुणे में समाजसेवी डॉ. बाबा आढाव से मुलाकात के दौरान पवार ने यह बयान दिया। 90 साल के बाबा आढाव हाल में हुए विधानसभा चुनावों में ईवीएम के कथित दुरुपयोग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के पुणे स्थित ऐतिहासिक निवास फुले वाडा में तीन दिवसीय विरोध प्रदर्शन शुरू किया। पवार ने आढाव के इस आंदोलन को जनता की चिंता और आक्रोश का प्रतीक बताया।
विपक्ष ने नतीजों को लेकर ईवीएम में गड़बड़ी और चुनावी तंत्र पर नियंत्रण के आरोप लगाए
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के महायुति गठबंधन ने 288 में से 230 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के महा विकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन को केवल 46 सीटें ही मिलीं। विपक्ष ने इन नतीजों को लेकर ईवीएम में गड़बड़ी और चुनावी तंत्र पर नियंत्रण के आरोप लगाए हैं।
शरद पवार ने कहा कि लोगों में हालिया चुनावों को लेकर गहरी बेचैनी है। उन्होंने दावा किया कि पूरे चुनावी तंत्र को धन और सत्ता के जरिए नियंत्रित करने की कोशिश की गई। यह स्थिति स्थानीय चुनावों में कभी-कभी सुनने को मिलती थी, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में धन का इस्तेमाल और सत्ता का ऐसा दुरुपयोग पहले कभी नहीं देखा गया।
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पवार ने बताया कि वर्तमान हालात से लोग नाराज और चिंतित हैं। उन्होंने दिवंगत समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण का जिक्र करते हुए कहा कि आज के हालात में उनके जैसे किसी नेता की जरूरत है, जो लोगों का नेतृत्व कर सके। उन्होंने बाबा आढाव के आंदोलन की सराहना करते हुए कहा कि उनका विरोध जनता में उम्मीद जगाता है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह काफी नहीं है। संसदीय लोकतंत्र को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर जन आंदोलन की जरूरत है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि जिनके हाथों में देश की बागडोर है, वे इन समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे। उन्होंने कहा कि विपक्ष जब भी संसद में इन मुद्दों को उठाने की कोशिश करता है, तो उसे दबा दिया जाता है। पिछले छह दिनों से विपक्षी नेता संसद में अपनी बात रखने का मौका मांग रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है।
शरद पवार ने कहा कि यह रवैया संसदीय लोकतंत्र पर सीधा हमला है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस स्थिति पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो लोकतंत्र को गहरी क्षति हो सकती है। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे आगे आकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवाज उठाएं।