महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक ऐसा आवासीय परिसर बनाने का विज्ञापन दिया जा रहा है जो सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लिए होगा। इस विज्ञापन पर कुछ स्थानीय संगठनों ने आपत्ति जताई है। केंद्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर स्वतः संज्ञान लेकर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

मुंबई के पास सिर्फ़ मुसलमानों के लिए बसाई जा रही बस्ती पर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने कहा, “हमें सह्याद्री राइट्स फ़ोरम एनजीओ से शिकायत मिली थी कि महाराष्ट्र के करजत इलाके में एक बस्ती विकसित की जा रही है जिसमें सिर्फ़ मुसलमानों के रहने के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं। भारत में अगर छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में, मुसलमानों को हिंदुओं के साथ न रहने का डर दिखाकर और उन्हें अलग बस्तियां देकर मुसलमानों के लिए अलग बस्तियां बनाई जा रही हैं तो यह साफ़ तौर पर राष्ट्र के भीतर राष्ट्र के सिद्धांत के को दर्शाता है। हम ऐसा नहीं होने देंगे।”

मामले पर क्या बोले NHRC के सदस्य प्रियंक कानूनगो?

 प्रियंक कानूनगो ने आगे कहा, “हमने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। यह मामला यहीं नहीं रुकेगा। आज आप दावा कर रहे हैं कि आपको ऐसे घर चाहिए जहां सिर्फ़ मुसलमान रहें। एक दिन फिर आप महाराष्ट्र में मुसलमानों के लिए अलग राज्य की मांग कर सकते हैं। यह एक गंभीर बीमारी है। हमने मुख्य सचिव से पूछा है कि ऐसी सोसाइटी बनाने की इजाज़त कैसे मिली, इस पर हमें रिपोर्ट दीजिए।”

महाराष्ट्र सरकार को NHRC ने दिए कार्रवाई करने के निर्देश

प्रियंक कानूनगो कहते हैं कि ये विज्ञापन इस तरीके से किया जा रहा है कि मुसलमानों को असहिष्णुता का सामना करना पड़ रहा है और मुसलमान खुद को सुरक्षित करने के लिए अलग जगहों पर जाना चाहते हैं। ये ‘नेशन विद इन द नेशन’ के सिद्धांत जैसा है। हम एक बार इसी कारण से देश के टुकड़े बर्दाश्त कर चुके हैं। ये दोबारा नहीं होने दिया जाएगा। भारत संविधान के अनुसार सेक्युलर सिद्धांतों पर चलनेवाला राष्ट्र है इसलिए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए जा रहे हैं।

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मुंबई के नजदीक जहां ये आवासीय परिसर प्रस्तावित है उसके आसपास रहनेवाले लोगों का भी कहना है कि नेरल ग्राम पंचायत के आसपास एक विशेष समुदाय के आवासीय परिसर का निर्माण करके वहां हिंदुओं की आबादी कम करने का प्रयास किया जा रहा है।