महाराष्ट्र में जल्द होने वाले निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र विधान परिषद की सदस्य (एमएलसी) प्रज्ञा सातव पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं। खास बात यह है कि प्रज्ञा सातव कांग्रेस के पूर्व सांसद स्वर्गीय राजीव सातव की पत्नी हैं।

राजीव सातव लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बेहद करीबी थे। प्रज्ञा सातव मराठवाड़ा क्षेत्र के हिंगोली जिले की रहने वाली हैं।

प्रज्ञा सातव के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस हैरान है तो बीजेपी के भी कई नेताओं को उनके इस कदम से आश्चर्य हुआ है।

प्रज्ञा सातव के बीजेपी में जाने से विधान परिषद में कांग्रेस की सीटें घटकर मात्र छह रह गई हैं और इस वजह से विपक्ष के नेता पद पर पार्टी का दावा और कमजोर हो जाएगा।

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राहुल की छवि खराब करने की कोशिश

प्रज्ञा के इस कदम को लेकर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “इसका मकसद सिर्फ विधान परिषद में कांग्रेस की संख्या कम करना नहीं है, यह राहुल गांधी को निशाना बनाने की भी कोशिश है। दुनिया को यह दिखाना है कि राहुल आसानी से बहकावे में आ जाते हैं और जिन लोगों पर वे भरोसा करते हैं वे भरोसेमंद नहीं हैं।’

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका मकसद राहुल गांधी की छवि को खराब करना भी है। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी बीजेपी के बड़े नेताओं के खिलाफ जितना आक्रामक होंगे, दलबदल की उतनी ही ज्यादा साजिशें रची जाएंगी।

कौन थे राजीव सातव?

राजीव सातव ने महाराष्ट्र की राजनीति से अपना करियर शुरू किया और युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का गुजरात प्रभारी भी नियुक्त किया गया था। उनके प्रदेश प्रभारी रहते हुए 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुजरात में शानदार प्रदर्शन किया था।

182 सीटों में से बीजेपी ने 99 सीटें जीतकर मुश्किल से बहुमत हासिल किया था जबकि कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। राजीव सातव को राहुल गांधी के करीबी लोगों में गिना जाता था। 2021 में कोविड के दौरान सिर्फ 46 साल की उम्र में राजीव की मौत हो गई थी।

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भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुई थीं प्रज्ञा

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कहा था, ‘मुझे इस बात की खुशी है कि उनकी पत्नी पूरे दिन मेरे साथ चलीं। बहुत कम नेता इतना चल पाते हैं लेकिन उन्होंने ऐसा किया।’

राजीव सातव की मौत के बाद 2021 में पार्टी हाईकमान के निर्देश पर प्रज्ञा सातव को एमएलसी चुनने के साथ ही महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था। जुलाई 2024 में कांग्रेस ने प्रज्ञा को छह साल के पूरे कार्यकाल के लिए फिर से एमएलसी बनाया था। पार्टी ने इसके लिए अपने मुस्लिम नेता वजाहत मिर्जा को तक दरकिनार कर दिया था।

महाराष्ट्र कांग्रेस में चल रही गुटबाजी और आंतरिक कलह के कारण प्रज्ञा सातव मराठवाड़ा क्षेत्र में कांग्रेस का मजबूत चेहरा नहीं बन पाईं। गुटबाजी की वजह से ही विधायक भाऊराव पाटिल-गोरेगांवकर भी कुछ महीने पहले बीजेपी में चले गए थे।

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प्रज्ञा के आने से खुश है बीजेपी

बीजेपी ने प्रज्ञा सातव का भव्य स्वागत किया। खुद प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण और राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया। बीजेपी ने भरोसा दिलाया कि उन्हें अहम भूमिका दी जाएगी। प्रज्ञा ने कहा कि हमेशा अपने निर्वाचन क्षेत्र और हिंगोली के विकास के लिए काम किया। मैं उनके अधूरे काम को आगे बढ़ाऊंगी।”

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