महाराष्ट्र के एक IAS कपल ने अपने बेटे को आंगनवाड़ी भेजा है। आईएएस कपल ने इस धारणा को बदलने के लिए कि सरकारी सुविधाएं घटिया हैं अपने 14 महीने के बेटे को आंगनवाड़ी भेजा है। 2018 बैच के आईएएस अधिकारी वर्षा और विकास मीणा ने अपने घर से लगभग दो किलोमीटर दूर जालना जिले के दरेगांव गांव में एक आंगनवाड़ी केंद्र में अपने बेटे अथर्व का दाखिला कराया है।

वर्षा और विकास वर्तमान में महाराष्ट्र के दो निकटवर्ती जिलों जालना और औरंगाबाद में जिला परिषद के सीईओ के रूप में कार्यरत हैं। अपने फैसले के बारे में बोलते हुए वर्षा ने कहा कि उन्हें लगा कि जब तक ड्राइवर की सीट पर बैठे लोग बात पर अमल नहीं करेंगे, तब तक जमीनी स्तर पर बदलाव की उम्मीद करना व्यर्थ है। गौरतलब है कि IAS कपल ने आंगनवाड़ी में छह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एक सरकारी प्लेस्कूल और देखभाल केंद्र भेजा है।

जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए पहल

कपल ने टीओआई को बताया, “मैं और मेरे भाई-बहन एक सरकारी स्कूल में पढ़ते थे। सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ियों को हमेशा घटिया माना जाता है और इस छवि को बदलने की जरूरत है। मैं यह नहीं कहती कि सभी जिला परिषद स्कूल और आंगनवाड़ी अच्छे हैं लेकिन कुछ वास्तव में अच्छे हैं और ऐसे स्कूलों और आंगनबाड़ियों को सराहना की जरूरत है।”

बच्चों की भूख और कुपोषण से निपटने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के एक भाग के रूप में 1975 में शुरू किए गए महाराष्ट्र में वर्तमान में एक लाख से अधिक आंगनवाड़ी और मिनी आंगनवाड़ी हैं। पिछले कुछ सालों में ये केंद्र पूरक पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, रेफरल सेवाओं के साथ-साथ गैर औपचारिक प्री-स्कूल शिक्षा प्रदान करने के स्थान बन गए हैं।

आईएएस कपल ने बेटे को भेजा दरेगांव आंगनवाड़ी

आईएएस वर्षा ने कहा कि 2022 में जालना में कार्यभार संभालने के बाद से उन्होंने जिले की कई आंगनबाड़ियों का दौरा किया है, जिनमें लगभग 2000 आंगनबाड़ियां हैं। मुझे इन केंद्रों के बारे में बहुत सकारात्मक छवि मिली। ये ग्रामीण बच्चों के लिए प्ले स्कूल हैं। आईएएस ने कहा कि मैं पिछले एक महीने से अपने बेटे को प्लेस्कूल भेजने के बारे में सोच रही थी। मैंने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रभारी डिप्टी सीईओ से अपने घर के निकटतम आंगनवाड़ी के बारे में पूछा। उन्होंने मुझे दरेगांव आंगनवाड़ी के बारे में बताया।

वर्षा ने बताया कि दरेगांव आंगनवाड़ी में वर्तमान में 20 बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि जब वह जिला परिषद सीईओ के रूप में नहीं बल्कि माता-पिता के रूप में आंगनवाड़ी में गईं, तो उन्होंने इसे तुरंत मंजूरी दे दी। विकास ने कहा कि सरकारी स्कूलों से पढ़े बच्चों ने देश का नाम रोशन किया है। हमें लोगों के मन में अपने जिला परिषद स्कूलों की छवि बदलने की जरूरत है। बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की कमी जैसे मुद्दे हैं, लेकिन उनसे निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं।