Maharashtra Govt: लाडली बहन योजना (Ladki Bahin Yojana) के कारण महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt) अब मुश्किलों में घिरने लगी है। सरकार भले ही ऑल इज वेल का दावा कर रही है, लेकिन हकीकत यही है कि लाडली बहना योजना (Ladki Bahin Yojana) को आगे बढ़ाना अब फडणवीस सरकार के लिए मुश्किल होने लगा है। लाडली के कारण सरकार की दूसरी जनहितकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। नतीजतन दूसरे विभाग के मंत्री ही सरकार पर सवाल खड़े करने लगे हैं। इस बारे में सामाजिक न्याय विभाग के मंत्री संजय शिरसाट (Minister Sanjay Shirsat) ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री अजित पवार ने बजट में उनके विभाग का पैसा ‘लाडली योजना (Ladki Bahin Yojana)’ के लिए दे दिया है। शिरसाट इस बारे में अब अजित पवार से सवाल पूछ रहे हैं।

बता दें, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में वादा किया गया था कि अगर महायुति (Mahayuti) दोबारा सत्ता में आई तो लाडली बहनों को 1500 रुपये की जगह 2100 रुपये मिलेंगे। लेकिन वित्त मंत्री अजित पवार की ओर से पेश किए गए बजट में लाडली बहना योजना के लिए प्रावधान कम कर दिया गया है। इसके चलते जहां महिलाओं में कुछ असंतोष है, वहीं सामाजिक न्याय एवं आदिवासी विकास विभाग में भी असंतोष है। लाडली बहना योजना के लिए धन उपलब्ध कराते समय सामाजिक न्याय एवं आदिवासी विकास विभाग के बजट में कटौती की गई है।

सामाजिक न्याय विभाग (Social Justice) से 3,000 करोड़ रुपये और आदिवासी विकास विभाग (Tribal Development) से 4,000 करोड़ रुपये की राशि लाडली बहना योजना के लिए दे दी गई है। इसलिए लाडली बहना योजना अब इन दोनों विभागों को प्रभावित करेगी।

वित्त मंत्रालय ने लाडली बहना योजना के लिए 36,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए जनजातीय विकास और सामाजिक न्याय मंत्रालयों के बजट को लाडली बहना योजना में ट्रांसफर कर दिया गया है। लाडली बहना योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से कार्यान्वित की जाती है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की अदिति तटकरे इस विभाग की मंत्री हैं।

आदिवासी विकास मंत्रालय (Tribal Development) की जिम्मेदारी बीजेपी के अशोक उइके के पास है, जबकि सामाजिक न्याय विभाग की जिम्मेदारी शिवसेना के संजय शिरसाट के पास है। मंत्री शिरसाट ने सामाजिक न्याय विभाग से बजट के दुरुपयोग पर स्पष्ट शब्दों में अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जनजातीय विकास एवं सामाजिक न्याय विभाग की धनराशि को इस तरह से नहीं हटाया जा सकता। शिरसाट ने सीधे नियम की ओर इशारा करते हुए कहा कि कानून ऐसा ही है।

संजय शिरसाट (Sanjay Shirsat) ने कहा कि नियम यह है कि बजट का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता, चाहे वह किसी भी विभाग का हो। नियमों के अनुसार, हमारे विभागों को धनराशि उपलब्ध कराना अनिवार्य है। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे विभाग के धन को बजट में कहीं और लगा दिया गया है। हम इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि वित्त मंत्री इस पर क्या स्पष्टीकरण देते हैं। बजट बहस के जवाब में वे क्या कहते हैं? हम उनसे अनुरोध करने जा रहे हैं। शिरसाट ने कहा कि क्योंकि नियमों के अनुसार धनराशि का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।

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शिरसाट ने कहा कि अगर आप लाडली बहना योजना चलाना चाहते हैं तो आपको कहीं से पैसा जुटाना होगा। इस प्रकार के फंड जुटाना भी आवश्यक है। लेकिन जिन दो विभागों की इस योजना के लिए धनराशि कम कर दी गई है, वे समाज के वंचित वर्गों के लिए काम करते हैं। चाहे वह साधारण दलित परिवार हो या आदिवासी परिवार, इन विभागों द्वारा उनके उत्थान के लिए योजनाएं क्रियान्वित की जाती हैं। इसलिए उनसे धनराशि लेकर अन्यत्र देना नियम के विरुद्ध है। नियमों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए शिरसाट ने कहा, मुझे लगता है कि सरकार ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जो नियमों में नहीं है।

शिवसेना के संजय शिरसाट से पूछा गया कि यदि सभी विभाग ऐसा रुख अपनाएंगे तो लाडली बहना योजना कैसे काम करेगी? इस सवाल पर शिरसाट ने कहा कि किसी अन्य विभाग में छोटे या बड़े कार्य को कम किया जा सकता है, लेकिन सामाजिक न्याय और आदिवासी विकास विभागों के मामले में ऐसा नहीं है। इन विभागों की फंडिंग कम नहीं की जा सकती, यह कानून है।

शिरसाट ने जवाब दिया कि कानून के अनुसार, हमें 12 प्रतिशत आबादी के आधार पर धनराशि वितरित की जाती है और सरकार को इसे उपलब्ध कराना होता है। मैं इस बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बात करूंगा। मैं वित्त मंत्री से भी बात करूंगा। मैं यह अनुरोध करना चाहूंगा कि इस निधि का इस तरह से दुरुपयोग न किया जाए। शिरसाट ने कहा कि यदि इस तरह से फंड में कटौती की गई तो इससे विभागों की योजनाओं में व्यवधान पैदा होगा।

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