Maharashtra Jharkhand Assembly Election: कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र के पार्टी नेताओं के साथ में मीटिंग की। इसमें लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने राज्य के नेताओं से कहा कि उनको ओवर कॉन्फिडेंस से बचना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए साथ में मिलकर काम करें। हरियाणा में अपनी किस्मत आजमाने के बाद में कांग्रेस नेतृत्व चाहता है कि राज्य की पार्टी ईकाई हर कदम पर अलर्ट रहे।

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम के ऐलान के साथ ही चुनावी जंग का आगाज हो जाएगा। यह इंडिया अलायंस के गुटों के लिए दोहरी परीक्षा भी होगी। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद इस तरह की स्थिति पैदा हो रही है। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत से दूर रखने में कामयाब होने के बाद कांग्रेस ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में काफी भरोसे के साथ में कदम रखा था। हालांकि, नतीजे बिल्कुल ही उसके उलट निकले थे। महाराष्ट्र और झारखंड में विपक्ष और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।

एमवीए ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया

महाराष्ट्र में एमवीए अलायंस ने लोकसभा चुनाव में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। महाराष्ट्र में अपने बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस ज्यादा सीटों पर नजर गड़ाए हुए है। एनसीपी-एससीपी और शिवसेना यूबीटी भी कुछ मुश्किल सौदेबाजी करने के लिए कमर कस रहे हैं। हरियाणा के जनादेश और जम्मू के रिजल्ट ने एक तरह से कांग्रेस को कुछ हद तो कम कर दिया है। लोकसभा इलेक्शन में महाराष्ट्र में कांग्रेस ने 30 सीटों में से 13 सीटों पर बाजी मारी थी।

जब अचानक कांग्रेस दफ्तर पहुंचे राहुल गांधी, पत्रकारों को भी सुना दिया गया दफ्तर छोड़ने का फरमान, जानिए क्या थी वजह

उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने 9 सीटें तो शरद पवार की एनसीपी ने 8 सीटों पर बाजी मारी थी। सबसे बड़ी उलझन सीएम फेस को लेकर भी है। शिवसेना यूबीटी चाहती है कि उद्धव ठाकरे को ही सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए। वहीं कांग्रेस पार्टी इस पर सहमत नजर नहीं आ रही है। लोकसभा इलेक्शन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस सबसे बड़े पद पर आसीन होने को लेकर काफी उत्साहित है।

महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी की अच्छी पैठ- कांग्रेस नेता

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसकी पूरे महाराष्ट्र में अच्छी पैठ है और इसी वजह से उसको सबसे ज्यादा सीटों पर इलेक्शन लड़ना चाहिए। कांग्रेस ने 17 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और उसमें से 13 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हो गई थी। शिवसेना यूबीटी ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं शरद पवार की एनसीपी ने 10 में से 8 सीटों पर जीत दर्ज की।

महाराष्ट्र के नेताओं के साथ कांग्रेस नेतृत्व की सोमवार को हुई मीटिंग में यह बात सामने आई कि गठबंधन को सीएम का उम्मीदवार घोषित करने की अभी कोई जरूरत नहीं है। कांग्रेस कुल 288 में से 110-115 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि 90-95 सीटें शिवसेना यूबीटी और 80-85 सीटें शरद पवार की एनसीपी के लिए छोड़ी गई हैं। सबसे बड़ी चुनौती एक साथ चुनौती अभियान चलाने की होगी।

झारखंड में कांग्रेस जूनियर पार्टी

अब अगर बात झारखंड के चुनावों की करें तो यहां पर कांग्रेस पार्टी जूनियर पार्टनर है, लेकिन यहां पर भी सीटों का बंटवारा काफी अहम होने वाला है। पिछले विधानसभा चुनाव में जेएमएम ने 81 में से 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 30 पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने 31 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से केवल 16 पर उसे जीत मिली थी। जेएमएम का स्ट्राइक रेट बेहतर रहा। गठबंधन में शामिल आरजेडी ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सीट जीती थी। इस बार इंडिया गठबंधन का घटक सीपीआई एमएल भी गठबंधन का हिस्सा बनने की इच्छा जाहिर कर रहा है। पिछली बार इसने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था और एक सीट पर कब्जा जमा लिया था।

VIDEO: ‘ज्यादा तीखा नहीं खाता हूं….,’ राहुल गांधी ने दलित समुदाय के शख्स और उसके परिवार के साथ खाया खाना

जेएमएम और कांग्रेस पिछली बार से ज्यादा सीटें मांग रहे हैं। इससे बातचीत सहज नहीं होने वाली है। कांग्रेस इस बार 33 सीटों की मांग कर रही है। महाराष्ट्र के उलट झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन को सत्ता विरोधी भावना से जूझना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव में एनडीए ने झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से 49 पर बढ़त हासिल की थी। अकेले बीजेपी ने 46 सीटों पर बढ़त हासिल की।

​​झामुमो ने 14 विधानसभा सीटों पर और कांग्रेस ने 15 सीटों पर बढ़त हासिल की। इससे बीजेपी की सीटों की संख्या 29 हो गई। दो अन्य विधानसभा सीटों पर निर्दलीयों ने बढ़त हासिल की और एक सीट पर बसपा ने बढ़त बनाई। झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को उम्मीद इस बात से है कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में कुछ नुकसान हुआ है और उसकी सीटें 11 से घटकर 8 रह गई हैं। 14 लोकसभा सीटों में से बीजेपी-आजसू गठबंधन ने 9 सीटें जीतीं। झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने 5 सीटें जीतीं। हरियाणा में बीजेपी ने तीसरी बार चुनाव जीतकर इस धारणा को तोड़ दिया है कि वह हिंदी पट्टी में अपनी पकड़ को खो रही है।