Maharashtra Vidhan Sabha Election/Chunav Results 2019: महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के नतीजों और रुझानों से स्पष्ट है कि राज्य में एक बार फिर बीजेपी-शिव सेना गठबंधन की सरकार बनने जा रही है लेकिन स्थितियां 2014 जैसी नहीं हैं। शिव सेना ने बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनावी रुझानों के बाद मीडिया से कहा कि जनादेश सबकी आंखें खोलने वाला है। उन्होंने यह कहकर सियासी तापमान बढ़ा दिया है कि उनकी पार्टी किसी के आगे नहीं झुकेगी। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री के मुद्दे पर पहले से ही 50-50 का फॉर्मूला तय हुआ था। ठाकरे ने कहा कि अब कौन बनेगा अगला मुख्यमंत्री, इस पर अमित शाह के साथ बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
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शिव सेना के अंदरखाने चुनावों से पहले ही ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने की चर्चा चल रही थी। हालांकि, बीच चुनावों में उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात हुई लेकिन अब जब यह स्पष्ट हो चुका है कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर सकी और दो तिहाई सीट जीतने के अपने मिशन में पिछड़ गई, तब शिव सेना ने 50-50 के फार्मूले की बात उछालकर सियासी दांव चल दिया है।
आदित्य ठाकरे ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा है। शिव सेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे या उनके बेटे और मौजूदा शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन सियासी रणनीति पर आगे चलते हुए शिव सेना ने इस बार आदित्य ठाकरे को मुंबई की वर्ली सीट से उतारा था, जहां से वो चुनाव जीतने में सफल रहे हैं।
आदित्य ठाकरे अपने दादा के कट्टर हिन्दुत्व के एजेंडे से हटकर सॉफ्ट टारगेटेड राजनीति करते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने कट्टर हिन्दुत्ववादी मुद्दों मसलन राम मंदिर पर भी बोलने से परहेज किया। आदित्य ने विवादों से अपने को दबर रखा। हालांकि उनके पिता उद्धव ठाकरे ने हाल के चुनावी भाषणों में राम मंदिर समर्थन किया लेकिन बेटे धर्म या हिंदुत्व का उल्लेख नहीं किया लेकिन उनके भाषणों से पहले अक्सर उन्हें ‘हिंदू हृदय सम्राट’ का पोता कहकर संबोधित किया गया।
सीएम देवेन्द्र फडणवीस से उम्र में 20 साल छोटे आदित्य ठाकरे ने अपने चुनावी भाषणों में रोजगार और विकास जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी। शिव सेना की युवा सोच और नई पहचान बन चुके आदित्य ठाकरे ने मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल और सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई की है। वो अंग्रेजी बोलने में दक्ष हैं। बहुत ही सरल अंदाज में वो अपनी बात कहते हैं। चुनावों से पहले उन्होंने राज्यभर में आदित्य संवाद किया था। महाराष्ट्र की राजनीति में हावी होने वाले वरिष्ठ राजनेताओं की तुलना में आदित्य ठाकरे से लोगों को जुड़ने में अधिक संभावनाएं झलक रही हैं।