हरियाणा हार के बाद कांग्रेस कोर्स करेक्शन मोड में आ गई है। अब महाराष्ट्र चुनाव के लिए पार्टी नई रणनीति पर काम कर रही है। ऐसी खबर है कि नई रणनीति में क्षेत्रीय पार्टियों को सम्मान देना पड़ेगा, उन्हें भी साथ लेकर चलना ही होगा। असल में सपा प्रमुख अखिलेश यादव महाराष्ट्र दौरे पर आ रहे हैं, ऐसी खबर है कि वे सीट शेयरिंग को लेकर महा विकास अघाड़ी के साथ मंथन करने जा रहे हैं।
महा विकास अघाड़ी- कितनी सीटों पर सहमति?
जानकारी के लिए बता दें कि कई सीटों को लेकर पहले ही सहमति बन चुकी है। हाल ही में हुई महा विकास अघाड़ी की मीटिंग में मुंबई की 36 में से 33 सीटों पर सहमति बन गई है, एक तरफ उद्धव गुट 18 सीटों पर चुनाव लड़ेगा, 15 सीटें कांग्रेस को दी गई हैं। इसी तरह शरद पवार के गुट को 2 सीटें मिलेंगी और एक सीट सपा के लिए छोड़ी गई। अभी तक कुर्ला, भायखला और अमुशक्ति सीट पर पेच फंसा हुआ है।
हरियाणा हार पर कांग्रेस प्रत्याशियों की कहानी
सपा की क्या रणनीति?
अभी के लिए समाजवादी पार्टी तो 10 से 12 सीटों की उम्मीद लगाए बैठी है। उसका तर्क है कि पिछली बार उसके दो विधायक जीते हैं, ऐसे में इस बार ज्यादा सीटों पर उसे दांव ठोकना है। उसकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम बाहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की है। यहां समझना जरूरी है कि मुंबई में बड़ी तादाद उत्तर भारतीय मुसलमानों की है, इस वजह से भी सपा इंडिया गठबंधन से सम्मानजक सीटों की उम्मीद लगाए बैठी है।
हरियाणा हार से लेगी सबक?
ऐसी खबर है कि इंडिया गठबंधन सपा को दो से ज्यादा सीटें दे सकता है, लेकिन जितनी डिमांड की जा रही है, वो नहीं होगी। सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस ही राज्य में चुनाव लड़ने वाली है। बाकी सीटें शरद पवार की पार्टी और उद्धव गुट में बंटनी है। यहां अभी के लिए सपा ने साफ कर दिया है कि अगर उसे बिना कॉन्फिडेंस में लिए सीटों का ऐलान हुआ तो पार्टी हर मजबूत सीट पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में जिस तरह से हरियाणा में सीटें ना जीतकर भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ा, वैसा ही खेल महाराष्ट्र में भी हो सकता है।
