बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष राजेंद्र पवार को डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषिरत्न पुरस्कार देने की घोषणा की गई। लेकिन उन्होंने यह पुरस्कार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों से लेने से मना कर दिया। दरअसल राजेंद्र पवार को कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया था। बता दें कि सोमवार को राज्य सरकार की तरफ से पुरस्कार वितरण किए गए।

गौरतलब है कि राजेंद्र पवार NCP प्रमुख शरद पवार के भतीजे हैं और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के चचेरे भाई हैं। पिछले तीन साल में कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाले किसानों को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पुरस्कार वितरित किए। इस मौके पर राजेंद्र पवार उपस्थित नहीं हुए।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज का है। उनके शासन काल में किसानों की फसलों की रक्षा की जाती थी। शिवाजी महाराज ने अपने प्रशासन को किसानों की फसलों की देखभाल करने का भी आदेश दिया था। उनके आदर्श हमारे सामने है।

विधायक रोहित पवार के पिता राजेंद्र पवार ने कहा कि पंजाबराव देशमुख के नाम पर यह पुरस्कार दिया जाता है। वो महाराष्ट्र को विकास और समृद्धि के रास्ते पर ले गये थे। उन्होंने कहा कि इस अवॉर्ड मुख्यमंत्री के हाथों कृषि कार्यालय में दिया जाता तो अच्छा होता। पवार ने कहा कि कोश्यारी ने ज्योतिबा फुले और छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए थे, ऐसे में उनके हाथों से मैं पुरस्कार नहीं लेना चाहता।

उन्होंने कहा कि मैं महाराष्ट्र की अस्मिता को अपमानित करने वालों से पुरस्कार कैसे ले सकता हूं। राज्यपाल ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने राज्य की शांति भंग की। गौरतलब है कि फरवरी में राज्यपाल कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर बयान दिया था कि अगर उनके गुरु नहीं होते तो वो कुछ कर नहीं पाते। बिना समर्थ गुरु रामदास के शिवाजी महाराज को कोई नहीं जानता।

मालूम हो कि साल 2019 में ही राजेंद्र पवार का नाम पुरस्कार के लिए चयनित हुआ था। लेकिन तब से देश में कोविड 19 महामारी के चलते पुरस्कार समारोह नहीं हो पाया था।