महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद अब सहयोगी दल कांग्रेस और एनसीपी में विभागों को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों के महत्वपूर्ण विभाग अपने खाते में चाहती है। वहीं एनसीपी का धड़ा भी भारी-भरकम मंत्रालय की मांग पर अड़ा है।
मंगलवार को राज्य के कांग्रेस के मंत्रियों ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की। चूंकि कांग्रेस के नई सरकार में सबसे कम मंत्री पद मिले हैं ऐसे में इस मुलाकात और शिष्टाचार के नाते होने वाली मुलाकात बताया गया।
सूत्रों के हवाले से बताया गया कि इस बैठक में मंत्रालयों को लेकर भी चर्चा हुई। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सचिव मल्लिकार्जुन खड़गे, और के वेणुगोपाल रेड्डी भी मुलाकात के दौरान मौजूद रहे। एनसीपी जहां गृह मंत्रालय चाहती हैं वहीं कांग्रेस सहकारी व ग्रामीण विकास या कृषि विभाग अपने पास रखना चाहती है।
इससे पहले हुई बातचीत में सहकारी और ग्रामीण विकास मंत्रालय एनसीपी को देने पर सहमति बनी थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बाला साहेब थोराट मंत्रालयों को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बातचीत कर सकते हैं। 44 विधायकों वाली कांग्रेस को 12 मंत्री पद मिले हैं वहीं शिवसेना के 56 विधायक है और उसके खाते में 15 मंत्री पद हैं। जबकि एनसीपी के 54 विधायक और उसको भी 15 मंत्री पद मिले हैं।
शुरुआत में शिवसेना के साथ हाथ मिलाने में अनिच्छुक दिख रहा कांग्रेस नेतृत्व अब सरकार में तीसरे नंबर पर खिसकने से चिंतित दिखाई दे रहा है। यहां तक कि एनसीपी खेमे में भी मंत्रालयों को लेकर खींचतान तेज हो गई है। कुछ वरिष्ठ मंत्री इस बात को लेकर चिंतित है कि उनसे कम अनुभव वाले लोगों को दूसरे धड़े का समर्थन प्राप्त होने की वजह से विशेष तरजीह दी जा रही है।
माना जा रहा है कि उप मुख्यमंत्री अजित पवार को गृह या वित्त मंत्रालय मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि जावेद अवहद को हाउसिंग और नवाब मलिक को अल्पसंख्यक कल्याण और एक्साइज विभाग दिया जा सकता है। धनंजय मुंडे को सामाजिक न्याय और छगन भुजबल को खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय मिल सकता है।

