अपने बयानों की वजह से अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहने वाले महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फिर से सियासी हलचल पैदा कर दी है। उनका कहना है कि वो अब राज्यपाल की कुर्सी छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने इसके लिए पीएम मोदी से दरखास्त की है।
राजभवन से जारी बयान के मुताबिक कोश्यारी ने पीएम नरेंद्र मोदी से हाल के उनके महाराष्ट्र दौरे पर कहा है कि उन्हें राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाए। वो अब इससे आजिज आ चुके हैं। ये पहली बार नहीं है जब कोश्य़ारी ने राजनीतिक हलचल पैदा की हो। इसके पहले वो शिवाजी को लेकर विवादास्पद बयान दे चुके हैं। विपक्ष ने शिवाजी मामले पर उनकी जमकर फजीहत की थी। बीजेपी और एकनाथ शिंदे को भी बैकफुट पर आना पड़ा था।
कोश्यारी का कहना है कि वो आगे के जीवन में लिखने और पढ़ने पर ध्यान लगाना चाहते हैं। फिलहाल उनकी रुचि राजनीति से हट रही है। कोश्यारी 2019 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने थे। उसके बाद से उनका उद्धव ठाकरे सरकार से 36 का आंकड़ा रहा। वो लगातार ऐसे बर्ताव करते रहे हैं जिससे उद्धव ठाकरे की फजीहत हो।
चुनाव के बाद उन्होंने जिस तरह से देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार से अलसुबह शपथ दिलाई वो खासा चर्चा में रहा। तकरीबन हर जगह पर उनके इस फैसले की वजह से बीजेपी को शर्मसार होना पड़ा। शपथ के बाद शरद पवार ने मोर्चा संभाला और अजित को वापस लाकर MVA की सरकार बना दी। उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी मिली और थोड़ी देर की ना नुकुर के बाद अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाया गया।
उसके बाद भी कोश्यारी के तेवर ढीले नहीं पड़े। उद्धव सरकार के तमाम फैसले उनको रास नहीं आते थे। उद्धव और कंगना रनौत के बीच हुए विवाद में वो अकले ही दिन अभिनेत्री से मिले। कंगना उनके घर पहुंची। राजभवन का इशारा साफ था कि कंगना मामले में वो सरकार के फैसले का समर्थन नहीं करते। कंगना के घर को बीएमसी ने तोड़ दिया था। सरकार उनकी इस बात से नाराज थी कि वो ठाकरे परिवार पर सीधे हमलावर थीं। सुशांत मामले में उन्होंने सरकार की जमकर आलोचना की थी।