महाराष्ट्र की मावल विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है और बीते 25 सालों से इस सीट पर भाजपा ने ही जीत दर्ज की है। हालांकि इस बार एनसीपी भाजपा के इस मजबूत किले में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। हालांकि सेंध लगाने के लिए भी एनसीपी को भगवा ब्रिगेड के सिपाही से ही आस है। दरअसल भाजपा ने मावल विधानसभा सीट से अपने दो बार से मौजूदा विधायक बाला भेगडे को मैदान में उतारा है। वहीं एनसीपी ने सुनील शेलखे को मावल सीट से टिकट दिया है।

गौरतलब है कि सुनील शेलखे इससे पहले भाजपा में शामिल थे और वह तालेगांव से भाजपा के टिकट पर काउंसलर भी चुने गए थे। सुनील शेलखे आगामी विधानसभा चुनाव में मावल सीट से टिकट की मांग कर रहे थे। ऐसी खबरें हैं कि सीएम देवेंद्र फडनवीस से नजदीकी के चलते बाला भेगडे को टिकट में तरजीह दी गई।

वहीं एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने इस मौके का फायदा उठाया और सुनील शेलखे को एनसीपी में शामिल करने में अहम भूमिका निभायी। एनसीपी के नेताओं का कहना है कि पार्टी मावल सीट पर किसी नेता को चुनाव के लिए तैयार करने में नाकाम रही। गौरतलब है कि साल 1995 में भाजपा ने भी ऐसा ही किया था, जब भाजपा ने कांग्रेस की नेता रुपलेखा धोरे को पार्टी में शामिल कर मावल से चुनाव लड़ाया था। इस चुनाव में रुपलेखा धोरे को जीत हासिल हुई थी इसके साथ ही भाजपा ने इस सीट पर कब्जा कर लिया और लगातार यहां अपना प्रभुत्व बढ़ाती चली गई।

एनसीपी के उम्मीदवार सुनील शेलखे ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि इतने साल भाजपा के कब्जे में रहने के बावजूद मावल विधानसभा अभी भी अविकसित है और यहां के युवा नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। शेलखे ने कहा कि यदि वह यहां से चुनाव जीते तो उनकी प्राथमिकता में युवाओं को नौकरी देना प्रमुख होगा।

वहीं मावल से विधायक और भाजपा उम्मीदवार बाला भेगडे का कहना है कि मावल में विकास कार्य जारी हैं। कुछ विकास कार्य चल रहे हैं, वहीं कुछ जल्द ही पूरे होने वाले हैं।