संजना भालेराव
महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस ने गोरेगांव विधानसभा सीट से युवराज मोहिते को टिकट दिया है। युवराज मोहिते ही वह शख्स हैं जिन्होंने 8 जनवरी 1993 को शिवसेना संस्थापक 1993 मुंबई दंगों के मामले की जांच के लिए गठित श्रीकृष्णा आयोग के सामने शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे के खिलाफ गवाही दी थी।
पत्रकार के रूप में मोहिते ने बाल ठाकरे को अपने पार्टी कैडर को मुस्लिमों पर हमला करने का आदेश देने की बात सुन ली थी। मोहिते की यह गवाही दंगों में बाल ठाकरे और शिवसेना के शामिल होने को लेकर निर्णय देने में मददगार साबित हुई। उस घटना के 26 साल बाद मोहिते अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। मोहिते के सामने भाजपा की निवर्तमान विधायक विद्या ठाकुर हैं।
उस घटना के बारे में पूछने पर मोहिते कहते हैं कि वो अब बीते दिनों की बात है और अब यहां उसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। मोहिते अब सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र जहां से वह चुनाव लड़ रहे हैं, उसकी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। मेरे पास साल 2014 में भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ने के लिए टिकट का ऑफर था लेकिन मैंने मना कर दिया था। मैंने 6 महीने पहले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। मैंने कांग्रेस पार्टी को चुना क्योंकि यह मेरी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा वाली पार्टी है। यदि कोई मानवाधिकार और लोकतंत्र में विश्वास करता है तो कांग्रेस ही उसका एकमात्र विकल्प होगा।
कांग्रेस ने ठाणे के ओवल माजीवाडा सीट से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आरोपी पार्षद विक्रांत चव्हाण को टिकट दिया है। विक्रांत चव्हाण पर बिल्डर सूरज परमार को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज है। यहां से शिवसेना के हाईप्रोफाइल उम्मीदवार प्रताप सरनाइक मैदान में हैं।
साल 2015 में पुलिस ने विक्रांत चव्हाण समेत तीन पार्षदों पर बिल्डर के 13 पन्ने के सुसाइड नोट के आधार पर केस दर्ज किया था। अन्य पार्षद में नजीब मुल्ला व हनुमंत जगदाले शामिल थे। ये दोनों पार्षद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के थे। उस समय विक्रांत चव्हाण महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ थे। इस मामले में चव्हाण का कहना है कि उन्हें राजनैतिक प्रतिदंद्विता के कारण फंसाया गया था। यह एक राजनैतिक मामला था।