Prayagraj Kumbh Ganga Cleaning: महाकुंभ 2025 की तैयारियों में गंगा की स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है। इस बार स्नान के लिए आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को पहले से ज्यादा निर्मल और आचमन योग्य गंगा जल मिल रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार की सख्त निगरानी में गंगा में गिरने वाले 23 अनटैप्ड नालों के पानी को पूरी तरह से ट्रीट करने के बाद ही छोड़ा जा रहा है। इसके लिए प्रयागराज नगर निगम और यूपी जल निगम, नगरीय ने जियो ट्यूब तकनीक पर आधारित अस्थायी ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं, जो 24 घंटे काम कर रहे हैं।
कैसे काम कर रही जियो ट्यूब तकनीक?
पहले गंगा में गिरने वाले नालों के पानी का क्लोरीनीकरण किया जाता था, लेकिन इस बार ओजोनाइजेशन तकनीक अपनाई गई है। क्लोरीन की अधिक मात्रा से जलीय जीवों को नुकसान होता था, जबकि ओजोनाइजेशन से पानी पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है।
शहर के सात प्रमुख स्थानों—शिवकुटी, एडीए, सलोरी, ससुरखेदरी, जोंडेलवाल, राजापुर और सदर बाजार से आने वाले नालों के गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाता है। यहां पॉलीमर और पीएसी (PAC) केमिकल मिलाकर गंदगी को जियो ट्यूब में एकत्र किया जाता है। 20 मीटर लंबी और 3 मीटर चौड़ी ये टेक्सटाइल ट्यूब्स गंदगी को अलग कर शुद्ध पानी को बाहर निकाल देती हैं। इसके बाद पानी को हाइड्रोजन परॉक्साइड से और शुद्ध कर ओजोनाइज किया जाता है, जिससे इसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म हो जाते हैं। तब जाकर यह पानी गंगा में छोड़ा जाता है।
4 महीने बाद कचरे से बनेगी खाद
1 जनवरी से अब तक 3660 एमएलडी पानी को ट्रीट कर गंगा में डाला जा चुका है। इस प्रक्रिया में जो गंदगी जियो ट्यूब में जमा होती है, उसे चार महीने बाद निकाला जाएगा। फिर इसे वैज्ञानिक तरीके से ट्रीट कर खाद में बदला जाएगा, जिसे खेती में उपयोग किया जा सकेगा। महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को शुद्ध जल देने के लिए इस ट्रीटमेंट प्लांट की 24 घंटे ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा रही है। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि गंगा में जाने वाला पानी पूरी तरह से शुद्ध हो और जलजीवों को कोई नुकसान न पहुंचे।
गंगा को निर्मल और अविरल बनाना हमारी प्राथमिकता
“मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देश पर हमने यह सुनिश्चित किया है कि बिना ट्रीटमेंट के कोई भी नाला गंगा में न जाए। 23 अनटैप्ड नालों को जियो ट्यूब तकनीक से शुद्ध किया जा रहा है। हमारी 24 घंटे की मॉनिटरिंग और वैज्ञानिक ट्रीटमेंट प्रक्रिया की वजह से श्रद्धालु गंगा जल में बिना किसी संकोच के स्नान और आचमन कर सकते हैं। यह तकनीक जलजीवों के लिए भी सुरक्षित है और आने वाले समय में इसे और बेहतर किया जाएगा” : नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने कहा
गंगा की स्वच्छता को लेकर महाकुंभ 2025 में उठाया गया यह कदम ऐतिहासिक साबित हो सकता है। यह न केवल श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम है, बल्कि जलजीवों और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है। इस अनूठी पहल से गंगा को साफ रखने की यह तकनीक भविष्य में और बड़े स्तर पर लागू की जा सकती है।