छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। महादेव सट्टा ऐप केस की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट को बताया है कि इस मामले में भूपेश बघेल को नकद रुपये पहुंचाने की बात कहने वाला शख्स अब भी अपनी बात पर कायम है। गिरफ्तार शख्स ने कथित तौर पर पैसे का लेन-देन किया था और उसने दावा किया था कि उसे तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक नकद रुपये ‘पहुंचाने’ के लिए भेजा गया था।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले हुआ था गिरफ्तारी

असीम दास नाम के इस शख्स को ईडी ने पिछले साल नवंबर में रायपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए पहले फेज के मतदान से पहले पुलिस ने पकड़ा था। ईडी के मुताबिक दास ने स्वीकार किया था कि जब्त की गई धनराशि (5.39 करोड़ रुपये नकद) की व्यवस्था महादेव ऐप के प्रवर्तकों द्वारा की गई जिसे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में खर्च के लिए एक राजनेता ‘बघेल’ तक पहुंचाना था।

पहले वह अपने बयान से मुकर गया था, फिर बोला- सही था

पिछले साल के अंत में अदालत में पेशी के दौरान दास ने कहा था कि उसे एक साजिश के तहत फंसाया गया है और उसने कभी किसी को नकदी नहीं दी थी। प्रवर्तन निदेशालय ने अब एक जनवरी को रायपुर में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर अपने दूसरे आरोपपत्र में कहा कि दास ने पिछले साल 12 दिसंबर को एक नया बयान दर्ज कराया था, जिसमें वह तीन नवंबर को दिये गये अपने बयान से मुकर गया।

ईडी के मुताबिक, दास ने अब कहा है कि पिछले साल तीन नवंबर को एजेंसी को दिया गया उसका पहला बयान ‘सच्चा और सही’ था, जिसमें उसने बघेल का नाम लिया था। अपने नवंबर के बयान में दास ने ईडी को बताया था कि महादेव ऐप के प्रवर्तक शुभम सोनी ने उसे अक्टूबर 2023 में दुबई बुलाया और कहा था कि उसे ‘नकदी प्रदान की जाएगी’ जिसे भूपेश बघेल को दिया जाना था।

इस दौरान दास के 62 वर्षीय पिता सुशील दास छह दिसंबर को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक कुएं में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। बघेल ने इन आरोपों को उनकी छवि ‘खराब’ करने का प्रयास करार दिया है, जबकि कांग्रेस ने इसे केंद्र की ‘प्रतिशोध की राजनीति’ करार दिया।