Maha Kumbh 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन और सनातन आस्था के महापर्व महाकुंभ 2025 की शुरुआत आज से हो चुकी है। करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले इस आयोजन में देश-दुनिया से करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने का अनुमान है। यह श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में अमृत स्नान करेंगे। वहीं योगी सरकार भक्तों के ऊपर पुष्प वर्षा करेगी। इसके साथ ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर महाकुंभ में कल्पवास करेंगे, जो एक प्राचीन पंरपरा है।

Maha Kumbh 2025: पौराणिक मान्यता क्या है?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्रद्धालु एक माह तक संगम तट पर कल्पवास करेंगे। इसके लिए सीएम योगी के निर्देश पर प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने विशेष इंतजाम किए हैं। कल्पवास की शुरुआत सोमवार को पौष पूर्णिमा से शुरू हो चुकी है। महाकुंभ सनातन आस्था का सबसे बड़ा आयोजन होने के साथ बहुत सी सनातन परंपराओं का वाहक भी है। इसमें से महाकुंभ की एक महत्वपूर्ण परंपरा है संगम तट पर कल्पवास करना। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, कल्पवास, पौष पूर्णिमा की से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक पूरे एक माह तक किया जाता है। इस महाकुंभ में कल्पवास 13 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी तक संगम तट पर किया जाएगा।

शास्त्रों के अनुसार कल्पवास में श्रद्धालु नियमपूर्वक, संकल्पपूर्वक एक माह तक संगम तट पर रहते हैं। कल्पवास के दौरान श्रद्धालु तीनों काल गंगा स्नान कर, जप, तप, ध्यान,पूजन और सत्संग करते हैं। महाकुंभ 2025 में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के कल्पवास करने की उम्मीद है।

Maha Kumbh 2025: शाही स्नान का महत्व

महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगा। इस दिन सबसे पहले नागा साधु संगम में स्नान करते हैं। उनके बाद आम लोग स्नान कर सकते हैं। शाही स्नान को बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से न सिर्फ इस जन्म के, बल्कि पिछले जन्म के पाप भी खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ का पौराणिक महत्व

महाकुंभ मेला समुद्र मंथन की कहानी से जुड़ा है। पौराणिक मान्यता है कि जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से अमृत का कलश निकला। देवताओं और राक्षसों के बीच इसे पाने के लिए 12 दिन तक युद्ध हुआ। इस दौरान, अमृत की कुछ बूंदें धरती पर चार जगहों पर गिरीं – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन्हीं जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और एकता का प्रतीक है। यहां लोग संगम में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और साधु-संतों का आशीर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति तीन दिन तक नियम से स्नान करेंगे तो उसे हजार अश्वमेघ यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।

Maha Kumbh 2025: 1.6 लाख लगाए गए टेंट

महाकुंभ की विशेष परंपरा कल्पवास का निर्वहन करने के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने सभी जरूरी इंतजाम किए हैं। मेला क्षेत्र में गंगा जी के तट पर झूंसी से फाफामऊ तक लगभग 1.6 लाख टेंट, कल्पवासियों के लिए लगवाए गए है। कल्पवासियों के टेंटों के लिए बिजली, पानी के कनेक्शन के साथ शौचालयों का निर्माण कराया गया है। कल्पवासियों को अपने टेंट तक आसानी से पहुंचने के लिए चेकर्ड प्लेटस् की लगभग 650 किलोमीटर की अस्थाई सड़कों और 30 पंटून पुल बनाए गए हैं।

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के लिए 7000 करोड़ का बजट

महाकुंभ-2025 में प्रमुख स्नान की शुरुआत से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि संगम के आसपास होने वाले 45 दिवसीय इस महाआयोजन में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है। सिंह ने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन अनुमानित 4-5 करोड़ भक्तों के प्रयागराज में पहुंचने और स्नान में भाग लेने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि महाकुंभ के लिए राज्य का बजट लगभग 7,000 करोड़ रुपये है।साथ ही बताया कि पिछला कुंभ स्वच्छता के लिए जाना जाता था। इस बार यह स्वच्छता, सुरक्षा और डिजिटल कुंभ है।

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उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा कि 2019 में कुंभ हुआ था। यह महाकुंभ है और पिछले कुंभ में 24 करोड़ श्रद्धालु आए थे जबकि इस बार 35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। मुख्य सचिव ने कहा कि व्यवस्था भी उसी के अनुरूप की जा रही हैं। मेले का क्षेत्रफल लगभग 25 प्रतिशत बढ़ा है। इस बार मेला करीब 4,000 हेक्टेयर में लगाया जा रहा है, जबकि पिछले कुंभ में यह करीब 3,200 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाया गया था।

साल 2019 के कुंभ से तुलना करते हुए सिंह ने कहा कि इस बार हमने मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में बांटा है, जबकि 2019 में यह 20 सेक्टर में था। घाटों की लंबाई आठ किलोमीटर (2019 में) से बढ़ाकर 12 किलोमीटर (2025 में) कर दी गई है। पार्किंग क्षेत्र भी 2019 में 1291 हेक्टेयर की तुलना में इस बार बढ़ाकर 1850 हेक्टेयर कर दिया गया है।

Maha Kumbh 2025: 45 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती

सुरक्षा को लेकर सिंह ने कहा कि 55 से अधिक थाने हैं और लगभग 45,000 पुलिसकर्मी वहां ड्यूटी पर तैनात किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी रखने के लिए भी परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, ताकि कोई भी शरारत न कर सके। अगर सोशल मीडिया पर कुछ भी अप्रिय हो रहा है, तो उसे पहचाना जाना चाहिए, अलग किया जाना चाहिए और उससे निपटा जाना चाहिए।

Maha Kumbh 2025: तीन हजार से ज्यादा कैमरे लगाए गए

महाकुंभ के डिजिटल पहलू पर टिप्पणी करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि पिछले कुंभ से पहले हमने वहां एकीकृत नियंत्रण और कमान केंद्र (आईसीसीसी) स्थापित किए थे। इस बार इसे और मजबूत किया गया है और पूरे कुंभ क्षेत्र में 3,000 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं।

Maha Kumbhपिछली बार से दोगुना खर्च

उन्होंने कहा कि जब आप 2013 और 2019 में किए गए कार्यों की तुलना करेंगे तो इसमें काफी बदलाव देखेंगे और इस बार आप इसमें काफी सुधार पाएंगे, क्योंकि पैसे के मामले में भी, पिछली बार हमने लगभग 3,500 करोड़ रुपये खर्च किए थे और इस बार यह दोगुना है और हम लगभग 7,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि भारत सरकार के विभागों ने भी काफी निवेश किया है। रेलवे व राष्ट्रीय राजमार्गों में भी आप सुधार देखेंगे। मौनी अमावस्या की व्यवस्थाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर हमेशा सबसे अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार मौनी अमावस्या (25 जनवरी से 30 जनवरी तक) के दौरान अनुमानित 4-5 करोड़ भक्तों के आने की उम्मीद है, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 3-4 करोड़ था।

Maha Kumbh 2025: स्‍नान तिथियों में कोई वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं

मुख्य सचिव ने कहा कि छह महत्वपूर्ण (प्रमुख स्नान) तिथियां हैं जिन पर अधिक श्रद्धालु और अधिक भीड़ होगी। इसलिए, उन दिनों, एहतियात के तौर पर, राज्य सरकार किसी को भी कोई वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं देती है। उन्होंने कहा कि इसलिए, हम सभी वीवीआईपी से अनुरोध करते हैं कि वे उन छह दिनों में न आएं। हम उन्हें उन दिनों आमंत्रित करने का प्रयास करते हैं, जो प्रमुख स्नान के दिन नहीं होते हैं।

सिंह ने कहा कि महाकुंभ मेला 2025 में कल्पवासियों की अनुमानित संख्या 15-20 लाख है, जबकि कुंभ मेला 2019 में यह 10 लाख थी। उनके मुताबिक, पोंटून पुलों की संख्या 2025 में 30 हो गई है जो 2019 में 22 थी। मुख्य सचिव ने बताया कि मेला क्षेत्र की सड़कों की लंबाई 299 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर से अधिक कर दी गई है।

Maha Kumbh 2025: इन 25 शहरों के लिए फ्लाइट

प्रयागराज से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ, इंदौर, अहमदाबाद, कोलकाता, जयपुर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, हैदराबाद, भोपाल, चेन्नई, पुणे, गोवा, नागपुर, जम्मू, पटना, गोवा, अयोध्या, रायपुर, देहरादून, जबलपुर, चंडीगढ़, बिलासपुर के लिए फ्लाइट रहेगी।

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ आएं तो कहां रुकें

महाकुंभ में आने वाले लोगों के लिए ठहरने की व्यापक व्यवस्था की गई है। मेले में 10 लाख लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है। इनमें फ्री और पेड दोनों तरह की व्यवस्था है। जैसे आप लग्जरी व्यवस्था चाहते हैं तो संगम के ही किनारे बस सकते हैं। वहां डोम सिटी बसाई जा रही। इसका किराया प्रतिदिन का 80 हजार रुपए से लेकर सवा लाख रुपए तक है।

इसके आसपास 2000 कैंप की टेंट सिटी बनाई गई है। यहां रहने पर आपको 3 हजार से लेकर 30 हजार रुपए तक देना होगा। इसके लिए बुकिंग भी पहले करानी होगी।

पूरे शहर में 42 लग्जरी होटल हैं। सभी की अपनी वेबसाइट है, जिसके जरिए आप उनके बारे में जान सकते हैं और बुक कर सकते हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र में 100 आश्रयस्थल हैं, हर आश्रयस्थल में 250 बेड हैं। 10 हजार से अधिक स्वयंसेवी संस्थाओं ने श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की है।

Maha Kumbh 2025: स्टेशन के आसपास 50 होटल, पूरे शहर में 204 गेस्ट हाउस

अगर आप ट्रेन के जरिए आते हैं और प्रयागराज जंक्शन पर उतरते हैं, तो स्टेशन के आसपास 50 होटल हैं। वहां ठहर सकते हैं। इसके अलावा स्टेशन के बाहर प्रयागराज नगर निगम ने रैन बसेरा बनाया है। उसमें ठंड से बचाव की सारी व्यवस्था है।

संगम के आसपास कुल 3 हजार बेड के रैन बसेरा बनाए गए हैं। पूरे जिले में कुल 204 गेस्ट हाउस हैं। 90 धर्मशाला हैं, कुंभ के दौरान सभी में ठहरने की व्यवस्था होगी। संगम के आसपास के इलाके में घरों को पीजी हाउस में बदला गया है। पर्यटन विभाग ने उन्हें लाइसेंस और ट्रेनिंग दी है। आप यहां ठहर सकते हैं।

Maha Kumbh 2025: कुंभ में घूमने के लिए मैप का लें सहारा

पहले के मेलों में आश्रम, मंदिर और मठ तक पहुंचने में दिक्कत आती थी। इस बार गूगल मैप ने मेले के लिए अलग व्यवस्था की है। पूरे मेले के पुल, आश्रम, अखाड़ा, सड़क तक सबकुछ दिखाया है। महाकुंभ ने अपना जो ऑफिशियल ऐप बनाया है, प्ले स्टोर पर Maha Kumbh Mela 2025 के नाम से मौजूद है।

इस ऐप में कुंभ की सारी जानकारियां तो हैं ही। साथ ही कुंभ मेले का पूरा मैप भी है। इसमें घाटों एवं मंदिरों की लोकेशन के साथ शहर के जो प्रमुख स्थल हैं, उनकी भी जानकारी मौजूद है। इसके अलावा इसमें सभी मार्गों के साइन बोर्ड्स और डिजिटल मार्गदर्शन का इंतजाम किया गया है।

Maha Kumbh 2025: शाही स्नान की तिथियां

पहला शाही स्नान- 14 जनवरी 2025, मकर संक्रांति
दूसरा शाही स्नान- 29 जनवरी 2025, मौनी अमावस्या
तीसरा शाही स्नान- 3 फरवरी 2025, सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी

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