Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश में महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से होगी। 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ चलेगा। इस दौरान करोड़ों भक्त पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे। महाकुंभ के लिए बाबाओं का प्रयागराज पहुंचना जारी है। इसी क्रम में प्रयागराज में एंबेसडर बाबा भी पहुंचे हैं। एंबेसडर बाबा को टार्जन बाबा कहकर भी लोग बुलाते हैं। बाबा का असली नाम महंत राजगिरी नागा बाबा है और वह मध्य प्रदेश के इंदौर के रहने वाले हैं। वह अपने साथ एक एंबेसडर कार लेकर चलते हैं और उसी में रहते भी हैं। उनकी कार काफी चर्चा में है।

बाबा ने कार को दे रखा है मां का दर्जा

बाबा संगम किनारे एक कुटिया में रह रहे हैं और वहीं पर उनकी एंबेसडर कार भी खड़ी है। मीडिया का भी जमावड़ा लगा हुआ है। बाबा के अनुसार यह 1972 मॉडल की कार है और पिछले 35 वर्षों से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। समाचार चैनल आज तक से बात करते हुए बाबा ने कहा कि उन्हें यह कार एक भक्त ने गिफ्ट की थी, जिसके बाद से वह इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। बाबा कार में ही सोते हैं और कार में ही रहते हैं। इस कार को उन्होंने अपनी मां का दर्जा दे रखा है।

एक तरीके से बाबा की कार एक चलते फिरते आश्रम की तरह है। बाबा के अनुसार इस कार में उन्हें आत्मिक शांति और संतोष मिलता है। उन्होंने कहा कि यह कार बिना रुके मुंबई तक जा सकती है। इसके अलावा बाबा इस कार में कुछ टूल्स भी रखते हैं कि अगर कहीं इसमें खराबी आ जाए तो उसे ठीक कर सके। इस कार के ऊपर एक पलंग भी लगा हुआ है और उसमें पंखा भी फिट किया गया है। जहां भी बाबा का मन होता है, वहां पर कार लगा लेते हैं और इस पलंग पर सो जाते हैं।

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मोहमाया त्याग चुके हैं बाबा

बाबा मोहमाया त्याग चुके हैं और उनका अपना कोई परिवार नहीं है। बाबा ने अपना परिवार बचपन में ही छोड़ दिया था और घर से निकलकर तपस्वी की जिंदगी जी रहे हैं। हालांकि बाबा कहते हैं कि वह अपनी इस कार का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। वह यह भी कहते हैं कि उनकी 35 साल पुरानी एंबेसडर कार ही ऐसी है, जो उनके जीवन के साथ ही जाएगी।

बाबा ने कहा कि हम पंचस्नान जूना अखाड़े से जुड़े हुए हैं और ये कार मेरी मां जैसी है। उन्होंने कहा, “मां का दर्जा इसलिए दे रहा हूं क्योंकि इसी में खाता पीता हूं। अगर इसमें कोई खराबी आती है तो टूल बॉक्स मेरे पास है और मैं इसको ठीक कर लेता हूं। ये गाड़ी हर जगह खराब भी नहीं होती। यह लगभग उन्हीं जगहों पर खराब होती है जहां मिस्त्री आसपास मिल जाएं। कुंभ के बाद हम बनारस भी जाएंगे और शिवरात्रि तक रहेंगे।”