Maha Kumbh Mahashivratri: महाशिवरात्रि के साथ ही महाकुंभ का समापन हो जाएगा और बुधवार को महाशिवरात्रि के मौके पर महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान होना है, जिसे अमृत स्नान भी कहते हैं। ऐसे में प्रयागराज में एक बार फिर भक्तों का सैलाब देखने को मिल रहा है। इसके लिए एक तरफ जहां महांकुभ नगर और प्रयागराज शहर में भीड़ मैनेंजमेंट के लिए प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं और सभी तरह के वीवीआईपी प्रोटोकॉल्स को रद्द कर दिया गया है।
महाकुंभ के आखिरी दिन महाशिवरात्रि के मौके पर भक्तों के स्नान के लिए तीन जोन की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के तहत, जो भी श्रद्धालु जिस जोन में पहुंचेंगे, वहीं पर उन्हें स्नान कराया जाएगा। महाकुंभ नगर प्रशासन और प्रयागराज जिला प्रशासन ने शहर के सभी शिव मंदिरों के पुजारियों और प्रबंधकों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में तय किया गया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर किसी तरह का जुलूस या शिव बारात आदि का आयोजन नहीं किया जाएगा।
महाकुंभ और प्रयागराज नो व्हीकल जोन
पुलिस-प्रशासन ने महाकुंभ नगर और प्रयागराज शहर को नो व्हीकल जोन घोषित किया है। बता दें कि दूसरे शहरों या राज्यों से आने वाली बसें और ट्रेनें भरकर आ रही हैं। बड़ी संख्या में लोग अपने खुद के वाहनों से भी महाकुंभ नगर पहुंच रहे हैं।
रेलवे की खास तैयारियां
रेलवे की तैयारियों को लेकर एसपी जीआरपी प्रयागराज अभिषेक सिंह ने बताया कि इस महाकुंभ में भीड़ को देखते हुए 4000 से ज्यादा ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जबकि इस महाशिवरात्रि के स्नान पर भीड़ को देखते हुए 170 स्पेशल ट्रेनें और चलाई जाएंगी।
क्या है अमृत स्नान का मुहूर्त?
आखिरी शाही स्नान को लेकर मुहूर्त को लेकर श्रद्धालु अमृत योग में महाशिवरात्रि के पर्व पर आस्था की डुबकी लगाएंगे। ब्रह्म मुहूर्त में 3:33 बजे से लेकर 5:57 बजे तक अमृत योग रहेगा। इस काल में महाशिवरात्रि के पर्व पर स्नान करना सबसे ज्यादा फलदाई माना गया है। उनके मुताबिक त्रिवेणी संगम में स्नान कर अन्न वस्त्र और स्वर्ण दान को उत्तम माना गया है।
महाशिवरात्रि के पर्व पर प्रयागराज के शिवालयों खासतौर पर मनकामेश्वर मंदिर, नागवासुकी मंदिर, दशाश्वमेध मंदिर, सोमेश्वर मंदिर, पडिला महादेव और नागेश्वर धाम समेत आसपास के शिवालयों में खास तैयारी की गई है।
बता दें कि शिवरात्रि पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि महाकुंभ के मौके पर त्रिवेणी में स्नान करके 100 यज्ञों के बराबर फल मिलता है। गंगा के लिए पुराणों में कहा गया है कि गंगा के दर्शन मात्र से मुक्ति मिलती है। महाकुंभ से संबंधित अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।