Mahakumbh 2025 in foreign media: प्रयागराज के महाकुंभ मेले को लेकर दुनियाभर में चर्चाएं हैं। विदेशी मीडिया में भी इसको लेकर बड़ी उत्सुकता है। उसमें काफी खबरें और तस्वीरें छप रही हैं। महाकुंभ शुरू होने के पांचवें दिन तक सात करोड़ लोग से ज्यादा श्रद्धालु स्नान कर चुके थे। यह दुनिया का सबसे बड़ा समागम है। ब्रिटिश मीडिया बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में इसे “भारत के सबसे बड़े हिंदू त्योहार पर करोड़ों लोगों का पवित्र नदियों में स्नान” बताया। रिपोर्ट में कहा गया कि यह मानवता का सबसे बड़ा समागम है। 46 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में 40 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है। इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। महाकुंभ को कवर करने के लिए 105 देशों के जर्नलिस्ट प्रयागराज पहुंचे हुए हैं। लगभग सभी विदेशी मीडिया और न्यूज एजेंसियां विशेष स्टोरी और तस्वीरें प्रकाशित कर रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बनाई विशेष स्टोरी
अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि कुंभ मेला हर 12 साल पर आयोजित होता है। इस बार यह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहा है। सुरक्षा के लिए लगभग 40,000 पुलिस अधिकारी तैनात हैं और निगरानी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। रॉयटर्स ने कुंभ मेले की उत्पत्ति और इसकी धार्मिक महत्वता पर भी प्रकाश डाला। रिपोर्ट में इसे धर्म, अध्यात्म और पर्यटन का अनोखा मिश्रण बताया गया।
अमेरिकी मीडिया हाउस सीएनएन ने इसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक बताया। उन्होंने लिखा कि यह न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रदर्शन भी है। सीएनएन ने यह भी कहा कि प्रयागराज का नाम पहले इलाहाबाद था, जिसे 2018 में बदला गया। यह कदम भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में दर्शाने की दिशा में प्रतीक के रूप में माना गया।
अलजज़ीरा ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए सूर्योदय से पहले स्नान स्थलों की ओर बढ़ते हैं। ठंड के बावजूद लोग “हर हर महादेव” और “जय गंगा मैया” जैसे नारे लगाते हुए स्नान करते हैं। साधु-संत अपने-अपने संप्रदायों के झंडे लेकर संगम की ओर बढ़ते हैं।
जर्मनी के डॉयचे वेले ने श्रद्धालुओं के साहस को सराहा
जर्मनी के डॉयचे वेले (DW) ने बताया कि इस आयोजन में लगभग 40 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। ठंड के कारण कुछ कम लोगों के आने की संभावना जताई गई है, लेकिन जैसे-जैसे आयोजन बढ़ता है, भीड़ भी बढ़ती है। डॉयचे वेले (DW) ने बताया कि तमाम दिक्कतों के बावजूद कई लोगों को खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ी। इसके बावजूद लाखों श्रद्धालु गंगा तट पर इकट्ठा होते हैं और फूल और दीप जलाकर प्रार्थना करते हैं। सफाई बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में सफाईकर्मियों की तैनाती की गई है।
ब्रिटेन के प्रमुख अखबार द गार्डियन ने संगम पर डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की तस्वीरें प्रकाशित कीं। उन्होंने इसे हिंदुओं के लिए पवित्र आयोजन बताया। वहीं, अमेरिकी टेलीविजन नेटवर्क एबीसी ने बताया कि नागा साधु, जो राख से लिपटे और त्रिशूल, भाला या तलवार लेकर चलते हैं, रथों पर सवार होकर संगम की ओर बढ़ते हैं।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के खलीज टाइम्स ने महाकुंभ मेले को “कुंभ मेले में उमड़ा जनसैलाब” बताया। रिपोर्ट में कहा गया कि इस आयोजन में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग, गुफाओं में रहने वाले साधु और वैज्ञानिक जैसे विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हो रहे हैं।
यूएई के गल्फ न्यूज ने आईआईटी से पढ़ाई करने वाले बाबा अभय सिंह की कहानी प्रकाशित की। बाबा अभय सिंह ने कनाडा में नौकरी की, लेकिन बाद में आध्यात्मिक जीवन अपनाने के लिए सब कुछ छोड़ दिया। उनकी कहानी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई।
रूसी ब्रॉडकास्टर आरटी वर्ल्ड (RT World) ने इसे “मानवता का सबसे बड़ा जमघट” बताया। उन्होंने लिखा कि कुंभ शब्द का अर्थ अमृत कलश है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें भारत के चार पवित्र स्थानों – हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन – पर गिरी थीं। श्रद्धालुओं का मानना है कि इन पवित्र नदियों में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।