देशभर में मैगी को लेकर चल रहे विवाद की वजह से राजधानी में इसकी बिक्री पर खासा असर पड़ा है। लोगों ने इन दिनों मैगी खाना काफी कम कर दिया है। दिल्ली में मैगी बेचने वाले ज्यादातर जनरल स्टोरों पर मैगी के पैकटों के डिब्बे बंद पड़े हैं। बीते चार दिन से दिल्ली सरकार की खाद्य विभाग की टीमें भी जगह-जगह स्टोरों से मैगी के सैंपल उठा रही है। इसे लेकर भी बाजार में हड़कंप मचा हुआ है।

दिल्ली में कई व्यापारी और सामाजिक संस्थाएं भी अब मैगी के खिलाफ खुलकर प्रचार में आ गई हैं।

दिल्ली के मयूर विहार फेज एक में स्थित सहगल जनरल स्टोर के मालिक सोनू सहगल के मुताबिक इस मामलें में विवाद से पहले वे दो दिन में मैगी का एक डिब्बा बेच देते थे। उन्होंने बताया कि एक डिब्बें में मैगी के 96 पैकेट होते हैं। उन्होंने बताया कि बीते छह दिन में उनकी दुकान से सिर्फ 48 पैकेट ही बिके हैं। व्यापारी सोनू ने बताया कि इन दिनों में मैगी की बिक्री लगातार कम होती जा रही है।

इसी तरह से रोहिणी स्थित वर्मा जनरल स्टोर के मालिक रोहित भी मैगी की लगातार कम हो रही बिक्री से काफी चिंतित हैं। उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले ही उन्होंने मैगी के पांच डिब्बे बिक्री के लिए मंगवाए थे। उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में मैगी के काफी खरीददार हैं। रोहित ने बताया कि पिछले पंद्रह दिनों में वे अपनी दुकान से सिर्फ दो डिब्बे ही बेच पाए हैं। उन्होंने कहा कि अब मैगी को सरकार ठीक भी बता दे तो तब भी लोगों में उसका भरोसा बनाने में व्यापारियों को कई महीने लग जाएंगे।

व्यापारियों के संगठन चैंबर आफ आजादपुर फ्रूट एंड वैजीटेबल ट्रेर्डस के अध्यक्ष राजकुमार भाटिया ने मैगी की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हमारा आहार हमारे जीवन का आधार है। उन्होंने कहा कि कोई भी डाक्टर खाने में कभी भी मैगी खाने की सलाह नहीं देता है। भाटिया ने कहा कि ये सिर्फ विज्ञापनों की करामात है कि घर-घर में बच्चे मैगी खाते हैं।

उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में पकने वाले उत्पादों से बेहतर प्रकृति की ओर से प्रदत्त कई नियामतें हैं। लोगों को अपने खानपान में उनका ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। व्यापारी नेता सुभाष गोयल ने कहा कि सरकार को मिथ्या आकर्षित करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगानी चाहिए।