मद्रास हाई कोर्ट ने सुझाव दिया है कि राज्य सरकार को हर ट्रायल कोर्ट में एक तरफ से देखे जा सकने लायक शीशे या स्क्रीन के घेरे बनवाने चाहिए ताकि पेशी के दौरान यौन उत्पीड़न का शिकार हुए बच्चे आरोपी को न देख पाएं। कोर्ट की मदुरई बेंच के जस्टिस एस नागामुत्थू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस एक्ट 2012 में भी इस तरह के घेरे बनाने की बात कही गई है ताकि बच्चे अपने सामने आरोपियों को देखकर डरें नहीं। जज ने एक 11 साल की लड़की का अपहरण करके उसका बलात्कार करने के आरोप में 7 साल की सश्रम सजा काट रहे एक शख्स की याचिका खारिज करने के दौरान यह बात कही।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था, ”कोई स्क्रीन या ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि पीडि़त या गवाह आरोपी का शरीर या चेहरा न देख पाएं।” यह भी सुझाव दिया गया कि पीडि़त से क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान आरोपी की ओर से पूछे गए सवाल लिखित में तैयार किए जाएं। इन सवालों को जज पीडि़त बच्चों या गवाहों के सामने इस तरह रखें कि उन्हें किसी तरह से शर्मसार न होना पड़े। इसके अलावा, कोर्ट में पीडि़त बच्चों से सवाल जवाब के दौरान उन्हें पर्याप्त वक्त दिया जाए।