मद्रास हाई कोर्ट के जज एस वैद्यनाथन ने ईसाई संस्थानों में सह-शिक्षा पर अपनी एक विवादास्पद टिप्पणी वाला पैरा मंगलवार को आदेश से हटा दिया। जज ने हाल ही में अपनी एक टिप्पणी में कहा था कि ईसाई संस्थानों में सह-शिक्षा ‘लड़कियों के भविष्य के लिए अत्यधिक असुरक्षित’ है। जज ने अब कहा है कि आदेश का 32 वां पैरा हटाया जाता है।

गौरतलब है कि तमिलनाडु बिशप काउंसिल सहित ईसाई संगठनों और समाज के विभिन्न तबकों ने आदेश में जज की इस टिप्पणी को लेकर चिंता जाहिर की थी। जज ने यौन उत्पीड़न के आरोप का सामना करने वाले मद्रास क्रिश्चन कॉलेज के एक सहायक प्राध्यापक को जारी ‘कारण बताओ नोटिस’ रद्द करने से इनकार करने के दौरान यह टिप्पणी की थी।

कॉलेज के जुलॉजी पाठ्यक्रम की तीसरे वर्ष की कम से कम 34 छात्राओं ने यह आरोप लगाया था। जस्टिस वैद्यनाथन ने सहायक प्राध्यापक सैमुएल टेनीसन की याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा था, ”विद्यार्थियों के माता-पिता, खासतौर पर छात्राओं के अभिभावकों में यह सामान्य धारणा है कि ईसाई संस्थानों में सह-शिक्षा उनके बच्चों के भविष्य के लिए अत्यधिक असुरक्षित है।”

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जज ने कहा था कि ईसाई मशिनरियों की हमेशा ही किसी ना किसी मुद्दे को लेकर आलोचनाएं होती हैं। वैद्यनाथन ने कहा था, ”मौजूदा दौर में, उन पर अन्य धर्म के लोगों के लिए ईसाई धर्म अपनाना अनिवार्य करने के कई आरोप लगे हैं…बेशक वे अच्छी शिक्षा देते हैं लेकिन उनकी नैतिकता की शिक्षा हमेशा एक महत्वपूर्ण सवाल बना रहेगा।”

जस्टिस वैद्यनाथन ने महिलाओं के कल्याण की रक्षा के लिए बनाए गए दहेज विरोधी कानून समेत कई कानूनों के दुरुपयोग का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि अब समय आ गया है कि सरकार इन कानूनों में सुधार करे ताकि निर्दोष पुरुषों की भी रक्षा की जा सके।

(भाषा इनपुट्स)