बीते 27 साल से शहीद की विधवा कच्चे घर में जीवन बीता रही थी। युवकों ने मिलकर उनके लिए पक्का घर बनवाया और उन्हें गृह प्रवेश भी करवाया। 15 अगस्त के खास मौके पर युवाओं ने जनसेवा की नई मिसाल पेश की। दरअसल बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसफ) के जवान मोहन सिंह 31 दिसंबर 1992 में त्रिपुरा में शहीद हो गए थे। जिसके बाद मोहन सिंह का परिवार इंदौर जिले के बेटमा के पीर पीपल्या गांव में एक कच्चे मकान में रह रहा था।

मकान की खस्ता हालात पर जब एक ग्रुप के युवाओं की नजर पड़ी तो उन्होंने मिलकर शहीद की विधवा के लिए एक नया घर बनवाने की ठान ली। करीब 20 युवाओं ने एकसाथ मिलकर 2018 में मकान बनवाने की जिम्मेदारी लेते हुए लोगों से चंदा एकत्रित किया। करीब 11 लाख रुएप जुटाने के बाद 10 लाख रुपए मकान बनवाने तो एक लाख गांव में शहीद की मूर्ति बनवाने पर खर्च कर दिए गए।

नया मकान बनाने के लिए तीन महीने के भीतर ही इतनी बड़ी रकम एकत्रित कर ली गई थी। पैसा जुटाने और मकान तैयार होने के बाद युवाओं ने 15 अगस्त का दिन चुना और इसे शहीद मोहन सिंह की विधवा पत्नी को सौंप दिया। इस दौरान युवाओं ने जमीन पर अपनी हथेली रखकर उनका गृह प्रवेश करवाया।

युवाओं की इस पहल की मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी तारीफ की है। उन्होंने ट्वीट किया ’27 वर्ष पूर्व शहीद हुए इंदौर जिले के बेटमा के पीर पीपल्या गांव के बीएसएफ के जवान शहीद मोहन सिंह के परिवार के लिये, जो अभाव में जीवन जी रहा था। गांव के युवाओं ने अभियान चलाकर राशि एकत्रित कर, एक पक्के मकान का निर्माण करवाकर जनसेवा की मिसाल पेश कर स्वतंत्रता दिवस और रक्षा बंधन के पर्व को सार्थक बनाया है। युवाओं के इस जज्बे को सलाम, उनका यह कार्य सभी के लिए प्रेरक है।’